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ईरान से कच्चे तेल का आयात बंद करेगा भारत, बढ़ सकते हैं पेट्रोल-डीजल के दाम

नयी दिल्ली : अमेरिकी प्रतिबंधों से मिली छूट खत्म होने के बाद भारत, ईरान से कच्च तेल का आयात बंद कर देगा. कच्चे तेल की आपूर्ति में होने वाली कमी की भरपाई के लिए सऊदी अरब जैसे देशों से वैकल्पिक स्त्रोतों का इस्तेमाल किया जायेगा. शीर्ष अधिकारियों और उद्योग से जुड़े सूत्रों ने मंगलवार को […]

नयी दिल्ली : अमेरिकी प्रतिबंधों से मिली छूट खत्म होने के बाद भारत, ईरान से कच्च तेल का आयात बंद कर देगा. कच्चे तेल की आपूर्ति में होने वाली कमी की भरपाई के लिए सऊदी अरब जैसे देशों से वैकल्पिक स्त्रोतों का इस्तेमाल किया जायेगा. शीर्ष अधिकारियों और उद्योग से जुड़े सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी.

ट्रंप सरकार ने सोमवार को भारत समेत अन्य देशों को ईरान से कच्चा तेल आयात करने को लेकर मिली छूट की अवधि आगे नहीं बढ़ाने का फैसला किया है. एक शीर्ष अधिकारी ने कहा , जब तक कि छूट फिर से शुरू नहीं होती है, मुझे नहीं लगता कि भारत ईरान से कच्चे तेल की खरीदारी करेगा. हम ईरान से कच्चे तेल का आयात बंद कर देंगे. उन्होंने कहा कि इस महीने के आखिर में होने वाली बैठक में भारत, अमेरिकी सरकार से छूट की मियाद को 2 मई से आगे बढ़ाने के लिए दबाव डाल सकता है. हालांकि, संभावनाओं के आधार पर खरीदी नहीं की जा सकती है. हम ईरान से तेल का आयात नहीं करेंगे. चीन के बाद ईरान के कच्चे तेल का आयात करने वाला भारत दूसरा सबसे बड़ा खरीदार है. 2018-19 के दौरान भारत ने ईरान से करीब 2.4 करोड़ टन कच्चा तेल खरीदा है.

ईरान से आयात बंद करने से आपूर्ति में होने वाली कमी की भरपाई सऊदी अरब, कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और मैक्सिको में मौजूद आपूर्ति के वैकल्पिक स्त्रोतों से की जायेगी. पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने ट्वीट में कहा, भारतीय रिफाइनरियों को कच्चे तेल की पर्याप्त आपूर्ति के लिए एक मजबूत योजना तैयार की गयी है. उन्होंने कहा, अन्य प्रमुख तेल उत्पादक देशों से अतिरिक्त आपूर्ति की व्यवस्था होगी. भारतीय रिफाइनरियां पेट्रोल, डीजल और अन्य पेट्रोलियम उत्पादों की देशव्यापी मांग को पूरा करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं. इसी तरह का बयान पेट्रोलियम मंत्रालय की ओर से भी आया है. उसने कहा कि मई से कच्चे तेल की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए योजना तैयार है. इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन के चेयरमैन संजीव सिंह ने कहा कि तेल रिफानरी कंपनियां कई स्त्रोतों से कच्चे तेल का आयात करती हैं और पिछले महीनों से वैकल्पिक आपूर्ति स्रोतों की तैयारी कर रही हैं. सिंह ने कहा, तेल आपूर्ति में किसी भी तरह की कमी को पूरा करने के लिए हमारे पास वैकल्पिक स्त्रोत हैं.

उल्लेखनीय है कि परमाणु मुद्दे पर ईरान के साथ 2015 में हुए समझौते से पिछले साल अमेरिका बाहर हो गया था. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने परमाणु समझौते से अमेरिका को अलग कर लिया था और ईरान के खिलाफ फिर से प्रतिबंध लगा दिये गये. हालांकि, अमेरिका ने चीन, भारत, जापान, दक्षिण कोरिया, ताइवान, तुर्की, इटली और यूनान को छह महीने प्रतिबंध से छूट दी थी. इसके साथ ही सभी देशों को ईरान से आयात किये जाने वाले कच्चे तेल में कटौती को भी कहा था. यह छूट नवंबर 2018 में शुरू हुई थी और दो मई को समाप्त हो रही है. सिंह ने कहा, हमारे पास कई आपूर्तिकर्ताओं से तय अनुबंध पर या उससे ऊपर भी आपूर्ति का विकल्प हैं, जिसे कच्चे तेल की कमी को पूरा करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. हम कच्चे तेल की आपूर्ति के लिए हाजिर बाजार में भी जा सकते हैं. उन्होंने कहा कि जहां तक इंडियन ऑयल का संबंध है, आपूर्ति को लेकर दिक्कत नहीं होगी. हमने वैकल्पिक स्त्रोत पहले ही तैयार कर रखे हैं.

उन्होंने कहा कि अमेरिका के फैसले से कच्चे तेल की कीमतें अस्थायी तौर पर ऊपर जा सकती हैं. इंडियन आॅयल के पास वर्ष के दौरान मैक्सिको से 7 लाख टन तय खरीद के ऊपर 7 लाख टन अतिरिक्त कच्चा तेल लेने का विकल्प है. इसी तरह सऊदी अरब से 56 लाख टन के सावधि अनुबंध के ऊपर 20 लाख टन अतिरिक्त कच्चा तेल लेने का विकल्प है. इसी प्रकार, कुवैत से 15 लाख टन और संयुक्त अरब अमीरात से 10 लाख टन कच्चा तेल लेने का विकल्प है.

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