नरेंद्र मोदी सरकार के पहले वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज वित्तीय वर्ष 2014-15 का बजट पेश किया. इस बजट का पूरे देश को इंतजार था. एक आम नागरिक हमेशा यह चाहता है कि उसपर से टैक्स का बोझ कुछ घटे, इस नजरिये से देखें, तो इनकम टैक्स की सीमा दो लाख से 2.5 लाख करना कुछ राहत देने वाला है. साथ ही होम लोन सस्ता होना भी आम लोगों के लिए आकर्षक कदम है.
आम जनता को कुछ और घोषणाएं भा रही हैं, मसलन देश में चार एम्स, पांच आईआईटी और पांच आईएमएम खोलने का प्रस्ताव . बजट में यह आश्वासन भी दिया गया है कि आने वाले पांच सालों में सरकार हर राज्य में एम्स की स्थापना करेगी. इसके अलावा सरकार ने बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ योजना की शुरुआत भी की है, इसके लिए सौ करोड़ के बजट का प्रस्ताव किया गया है.सौ नये शहरों के स्थापना की भी बात कही गयी है. लेकिन अगर हम विभिन्न दृष्किोणों से देखें, तो हम पायेंगे कि इस बजट के जरिये वित्तमंत्री ने किन क्षेत्रों में क्या बदलाव करने की कोशिश की है.
आम जनता को टैक्स से मामूली राहत
आम जनता को टैक्स से राहत दिलाने के लिए बजट में कर सीमा को दो लाख से ढाई लाख कर दिया गया है. साथ ही होम लोन को भी सस्ता कर दिया गया है.आम जनता को महंगाई से राहत दिलाने के लिए सरकार ने 500 करोड़ के बाजार स्थिरीकरण कोष का निर्माण किया है, लेकिन यह कोष आम जनता की जेब को कितना राहत दिला पायेगा, इसपर शंका जाहिर की जा सकती है, क्योंकि बजट में यह प्रस्ताव भी है कि पेट्रोलियम पर सब्सिडी की समीक्षा होगी. यह इस बात के संकेत हैं कि सरकार पेट्रोलियम उत्पादों के मूृल्यों में वृद्धि कर सकती है, सरकार का यह कदम आम आदमी की जेब काटने वाला होगा.
किसानों के लिए फायदेमंद घोषणाएं
बजट में किसानों को राहत देने के लिए काफी घोषणाएं की गयी हैं. बजट में यह कहा गया है कि समय पर ऋण चुकाने वाले किसानों को ब्याज पर तीन प्रतिशत की छूट जारी रहेगी. इसके साथ ही किसानों की सहायता के लिए 1000 करोड़ रुपये की सिंचाई परियोजाना शुरू की गयी है. किसानों को मौसम की जानकारी देने और किसान मंडियों को प्रोत्साहित करने की भी योजना है. कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि यह बजट किसानों को ध्यान में रखकर बनाया गया है, उनकी उपेक्षा नहीं की गयी है.
अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए एफडीआई
बजट में यह प्रस्ताव किया गया है कि रक्षा क्षेत्र व बीमाक्षेत्र में 49 प्रतिशत तक प्रत्यक्ष विदेशी विदेश किया जायेगा. इसके साथ ही वित्तमंत्री ने बैंकों के शेयर बेचने का भी प्रस्ताव किया है. इन प्रस्तावों पर अगर ध्यान दें, तो हम पायेंगे कि इसका कारण सरकार के पास पैसों की कमी है. रक्षा उपकरणों की खरीद जब सरकार विदेश से करती है, तो इससे देश के विदेशी मुद्रा भंडार पर असर पड़ता है. यह बात जगजाहिर है कि रक्षा उपकरणों की खरीद हमें अमेरिकी डॉलर देकर करनी होती है, इसलिए सरकार ने इस बजट में यह प्रयास किया है कि विदेशी मुद्रा भंडार पर असर न पड़े. रक्षा क्षेत्र में 49 प्रतिशत एफडीआई और बीमा क्षेत्र में एफडीआई 26 से 49 प्रतिशत करने के पीछे भी यही उद्देश्य है. पैसे जुटाने के लिए वित्त मंत्री ने बैंकों के शेयर बेचने का भी प्रस्ताव किया है. यह सरकार के कुछ बड़े कदम हैं, जो देश की विदेशी मुद्रा को बुस्टअप करने के लिए उठाये गये हैं. यह कदम देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने वाले हैं.
शिक्षा जगत में मात्र आईआईटी और आईआईएम
देश की शिक्षा प्रणाली में बदलाव के लिए सरकार ने कुछ खास नहीं किया है. सरकारी विद्यालयों और कॉलेजों की आधारभूत संरचना में कोई खास बदलाव नहीं किया गया है. सरकारी विद्यालयों में गुणवत्ता किस प्रकार लायी जायेगी, इसपर भी कोई ध्यान नहीं दिया गया है.
स्वास्थ्य जगत में बदलाव पर ध्यान नहीं
सरकार ने बजट में इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया है कि आम लोगों को स्वास्थ्य सुविधा क्योंकर बेहतर ढंग से उपलब्ध होगी. सरकारी अस्पतालों, स्वास्थ्य केंद्रों के आधारभूत संरचना में कोई बदलाव नहीं किया गया है. हालांकि सरकार ने इस बात का दावा किया है कि अगले पांच सालों में देश के हर राज्य में एम्स की स्थापना होगी. फिलहाल चार राज्यों में एम्स की स्थापना होगी. हालांकि दवाइयों को सस्ता करना कुछ राहत देने वाल कदम है.
कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास की कोशिश
बजट में कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास की कोशिश की गयी है. बजट में इसके लिए 500 करोड़ का प्रावधान किया गया है. यह सरकार का एक अच्छा प्रयास है, क्योंकि अपने घर से विस्थापित किये जाने के बाद इन्होंने जितनी जिल्लत सही है, उसके बाद उनके पुनर्वास की कोशिश नि: संकोच सही है.
महिलाओं की सुरक्षा पर तरजीह
देश में महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिए भी बजट में प्रस्ताव किया गया है. बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना की शुरुआत की गयी है. इसपर 100 सौ करोड़ का बजट दिया गया है. महिलाओं को सुरक्षा देने के लिए सरकार ने बजट का प्रावधान किया है.
कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि अरुण जेटली का यह बजट उम्मीदों से भरा है. इसमें इंफ्रास्टक्चर डेवलप करने पर ज्यादा ध्यान दिया गया है. व्यवस्था बनाने की कोशिश की गयी है, जो लुभाने वाली घोषणाएं की गयी हैं उन्हें अमल में लाना बहुत जरूरी है अन्यथा वे बेमानी हो जायेंगी.
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