अहमदाबाद : गुजरात के आलू किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेने की पेप्सिको की घोषणा के एक दिन बाद सामाजिक कार्यकर्ताओं और किसान नेताओं ने शुक्रवार को कहा कि कंपनी को बिना शर्त मामले वापस लेने चाहिए तथा आलू उत्पादकों के उत्पीड़न के लिए उन्हें मुआवजा भी देना चाहिए.
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पेप्सिको ने पहले उन आलू उत्पादकों पर मुकदमे का फैसला किया था, जिन्होंने कथित तौर पर कंपनी द्वारा पंजीकृत किस्म के आलू उगाये थे. कंपनी के इस फैसले से आंदोलित गुजरात और देश के करीब 25 बड़े किसान संगठनों ने बीजों पर किसानों के हितों के संरक्षण के लिए ‘सीड सोवर्निटी फोरम’ बनाने का फैसला किया है.
एनजीओ ‘जतन’ के किसान अधिकार कार्यकर्ता कपिल शाह ने कहा कि यहां गुजरात विद्यापीठ में शुक्रवार को इस संगठन के तहत एक बैठक में कार्ययोजना पर चर्चा की गयी. उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा कि हम आशंकित हैं, क्योंकि पेप्सिको के कल के बयान में कुछ नया नहीं है. कंपनी ने पहले अदालत में कहा था कि वह दो शर्तों पर मामले वापस लेगी. इनमें है कि या तो किसान कंपनी के बीजों का इस्तेमाल करना बंद कर दें या कंपनी के साथ खेती के करार में शामिल हो जाएं.
शाह ने कहा कि हम मांग करते हैं कि मामलों को बिना शर्त वापस लिया जाना चाहिए. हम यह भी चाहते हैं कि कंपनी उत्पीड़न के लिए इन किसानों को मुआवजा भी अदा करे. कानून बिल्कुल साफ है और यह कहता है कि किसानों या उत्पादकों के अधिकार हमेशा बीज बनाने वाली कंपनियों के अधिकारों से ऊपर रहेंगे. बीज पर किसानों के अधिकार पर किसी तरह का समझौता नहीं हो सकता.
पेप्सिको ने साबरकांठा और अरावली जिलों के नौ किसानों पर दो अलग-अलग अदालतों में मामले दर्ज कराये थे. कंपनी ने आलू की उस किस्म को उगाने के लिए मामले दर्ज किये जिन पर कंपनी ने दावा किया था.
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