नयी दिल्ली : राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने दिवाला कानून के तहत नीलाम की जा रही कर्जग्रस्त जेपी इंफ्राटेक के अधिग्रहण के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एनबीसीसी की बोली पर कर्जदाताओं की समिति (सीओसी) की ओर से करायी जा रही वोटिंग को शुक्रवार को रद्द कर दिया. साथ ही, एनबीसीसी के पेशकश पर फिर से बातचीत के लिए 30 मई तक अनुमति दी है.
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एनसीएलएटी के चेयरमैन न्यायमूर्ति एसजे मुखोपाध्याय की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने मतदान प्रक्रिया को निरस्त या स्थगित करने की आईडीबीआई बैंक की एक याचिका पर सुनवाई की. इस दौरान पीठ ने निर्देश देते हुए घर खरीदारों के नौ संगठनों को भी अर्जी देकर हस्तक्षेप करने की अनुमति दी है. इन संगठनों में करीब 5,000 घर खरीदार शामिल हैं.
न्यायाधिकरण ने एनबीसीसी की बोली पर सीओसी को फिर से बातचीत करने के लिए 30 मई तक की अनुमति दी है. पीठ ने कर्जदाताओं से 31 मई से नये सिरे से मतदान कराने के लिए कहा है. जेपी इंफ्राटेक को कर्ज देने वाले बैंकों और पैसा जमा कराने वाले घर खरीदारों ने कंपनी के अधिग्रहण और 20 हजार से अधिक फ्लैट का निर्माण कार्य पूरा करने के लिए सरकारी कंपनी एनबीसीसी की ओर से प्रस्तुत बोली पर गुरुवार को मतदान शुरू किया था. मतदान प्रक्रिया रविवार को पूरी होनी थी और इसके नतीजे 20 मई को आने थे.
इस बीच, एनसीएलएटी ने शुक्रवार को अपने आदेश में पहले से चल रही मतदान प्रक्रिया को निरस्त कर दिया है. कर्ज के बोझ तले दबी जेपी इंफ्राटेक को सबसे ज्यादा कर्ज देने वाले आईडीबीआई बैंक ने एनबीसीसी की बोली का विरोध करते हुए कहा था कि यह बोली शर्तों के साथ रखी गयी है. बैंक ने कहा कि जेपी इंफ्रा के लिए एनबीसीसी के प्रस्ताव के साथ यह शर्त जुड़ी है कि यमुना एक्सप्रेसवे के कारोबार हस्तांतरित किये जाने की मंजूरी मिलने पर ही यह प्रस्ताव लागू हो सकेगा.
पीठ ने कहा कि यदि समाधान योजना कानून के मुताबिक है, तो सीओसी समाधान योजना को मंजूरी दे सकती है. हालांकि, पीठ ने कहा कि सीओसी बोली को तब तक खारिज नहीं कर सकती, जब तक कि इसके लिए एनसीएलएटी की अनुमति नहीं ले ली जाये. एनसीएलएटी ने घर खरीदारों को हस्तक्षेप के लिए अर्जी दाखिल करने की मंजूरी देते हुए कहा कि उनके प्रतिनिधि तथ्यों पर विचार करने के लिए कानूनी सहायता ले सकते हैं, क्योंकि आवंटियों को कानूनी क्षेत्र में कोई महारथ हासिल नहीं है.
आदेश में कहा गया कि इस तरह के कानूनी पेशेवरों को प्रतिनिधियों की सहायता के लिए सीओसी की बैठक में भाग लेने की अनुमति है, लेकिन वह वोट नहीं डालेगा और न ही बैठक में कोई विचार व्यक्त करेगा. आईडीबीआई बैंक की अगुवाई वाली समिति के आवेदन को एनसीएलटी में स्वीकार किये जाने के बाद जेपी इंफ्राटेक साल 2017 में ऋण शोधन प्रक्रिया में गयी थी.
जेपी इंफ्राटेक जेपी समूह की प्रमुख कंपनी है. दिवाला प्रक्रिया के पहले दौर में कर्जदाताओं की समिति ने सुरक्षा समूह की कंपनी लक्षद्वीप की 7,350 करोड़ रुपये की बोली खारिज कर दी थी. इसके बाद, अक्टूबर, 2018 में अंतरिम समाधान पेशवर (आईआरपी) अनुज जैन ने राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के निर्देश पर जेपी इंफ्राटेक को फिर से खड़ा करने के लिए बोली प्रक्रिया के दूसरे दौर की शुरुआत की थी.
इस महीने की शुरुआत में बैंक और घर खरीदारों समेत कर्जदाताओं ने मुंबई की कंपनी सुरक्षा रीयल्टी की बोली को मतदान प्रक्रिया के दौरान खारिज कर दिया था. इसके बाद सीओसी ने एनबीसीसी की पेशकश पर विचार करने का फैसला किया था. एनबीसीसी ने अपनी संशोधित बोली में 200 करोड़ रुपये की इक्विटी डालने, बैंकों को 5,000 करोड़ रुपये मूल्य की 950 एकड़ जमीन हस्तांतरित करने और 2023 तक फ्लैटों का निर्माण कार्य पूरा करने का वादा किया है, ताकि वित्तीय ऋणदाताओं के 23,723 करोड़ रुपये के लंबित दावों का निपटान किया जा सके.
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