फिक्की का रेलवे को सुझाव : कोयला और कोक को दीर्घकालीन शुल्क अनुबंध नीति में शामिल करे
नयी दिल्ली : उद्योग मंडल फिक्की ने इस्पात क्षेत्र के विकास के लिए दीर्घकालीन शुल्क अनुबंध (एलटीटीसी) नीति के दायरे में कोयला और कोक को लाने समेत कई सुझाव दिया है. मंत्रालय ने पूर्व निर्धारित कीमत वृद्धि नीति को लेकर प्रमुख ग्राहकों के लिए यह नीति बनायी हुई है. फिक्की ने लौह अयस्क के लिए […]
नयी दिल्ली : उद्योग मंडल फिक्की ने इस्पात क्षेत्र के विकास के लिए दीर्घकालीन शुल्क अनुबंध (एलटीटीसी) नीति के दायरे में कोयला और कोक को लाने समेत कई सुझाव दिया है. मंत्रालय ने पूर्व निर्धारित कीमत वृद्धि नीति को लेकर प्रमुख ग्राहकों के लिए यह नीति बनायी हुई है. फिक्की ने लौह अयस्क के लिए माल भाड़ा श्रेणी को युक्तिसंगत बनाने, उद्योग के लिए माल की ढुलाई को लेकर और रैक आवंटित करने तथा लौह अयस्क एवं चूना पत्थर के लिये मार्ग को युक्तिसंगत बनाने का भी सुझाव दिया है.
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उद्योग मंडल के अनुसार, घरेलू लौह अयस्क खनन की व्यवहार्यता तथा इस्पात क्षेत्र को देखते हुए लौह अयस्क के लिए माल भाड़ा श्रेणी को युक्तिसंगत बनाना जरूरी है. फिक्की ने कहा कि चूंकि, धातु से लेकर तापीय बिजली उत्पादन जैसे व्यापक औद्योगिक खंड कोयला, कोक और लौह अयस्क पर निर्भर हैं. ऐसे में, इन कच्चे माल को एलटीटीसी नीति के दायरे में लाया जाना चाहिए.
उद्योग मंडल ने कहा कि यह नीति उद्योग और रेलवे में लॉजिस्टिक परिचालन में निश्चितता लाती है, लेकिन नीति में कुछ अपवाद हैं तथा ज्यादातर परिवहन वाले सामान (लौह अयस्क, कोयला तथा कोक) इसके दायरे से बाहर हैं. दोबारा लौह अयस्क तथा चूना पत्थर की ढुलाई करने वाले इस मार्गों पर भीड़ की स्थिति है. इससे ऐसे में मार्गों को युक्तिसंगत बनाने की जरूरत है. इसके लिए ऐसे रेल मार्गों पर देहरीकरण तथा तीसरी लाइन स्थापित करने की जरूरत है.
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