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अर्थशास्त्री अरविंद पनगढ़िया ने की सरकारी कंपनियों के निजीकरण की वकालत

वाशिंगटन : जाने-माने अर्थशास्त्री और नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया का कहना है कि भारत की नयी सरकार को राजकोषीय मजबूती के मामले में ठोस प्रतिबद्धता दिखानी होगी. उसे केन्द्रीय मंत्रालयों की संख्या कम करने और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का आक्रामक तरीके से निजीकरण करना होगा. पनगढ़िया ने कहा है कि नयी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 21, 2019 4:14 PM

वाशिंगटन : जाने-माने अर्थशास्त्री और नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया का कहना है कि भारत की नयी सरकार को राजकोषीय मजबूती के मामले में ठोस प्रतिबद्धता दिखानी होगी. उसे केन्द्रीय मंत्रालयों की संख्या कम करने और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का आक्रामक तरीके से निजीकरण करना होगा. पनगढ़िया ने कहा है कि नयी सरकार को देश की आर्थिक वृद्धि की गति को तेज करने के लिए अंतरराष्ट्रीय व्यापार समझौतों पर वार्ता के लिए एक नयी इकाई बनानी होगी.

पनगढ़िया जनवरी, 2015 से लेकर अगस्त, 2017 तक नवगठित नीति आयोग के पहले उपाध्यक्ष रहे हैं. वह भारत में 23 मई को चुनाव परिणाम की घोषणा के बाद सत्ता में आने वाली नयी सरकार की प्राथमिकताओं के बारे में पूछे गये सवाल का जवाब दे रहे थे. उन्होंने कहा कि आपको राजकोषीय समेकन के मामले में मजबूत इच्छाशक्ति दिखानी होगी. यह तय करना होगा कि निजी क्षेत्र को निवेश के लिए धन की तंगी नहीं हो.

पनगढ़िया ने कहा कि नयी सरकार के लिए केन्द्रीय मंत्रालयों की संख्या घटाकर 30 करना दूसरा महत्वपूर्ण कार्य होगा. इससे आपकी सरकार का स्वरूप अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप हो जायेगा और प्रशासन क्षमता में सुधार आयेगा. उन्होंने कहा कि भारत में किसी भी अन्य देश के मुकाबले अधिक मंत्रालय हैं. बेहतर ढंग से प्रशासन चलाने वाले कई देशों में 30 अथवा इससे कम मंत्रालय हैं, जबकि भारत में 50 से अधिक मंत्रालय काम कर रहे हैं.

सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के निजीकरण की वकालत करते हुए उन्होंने कहा कि हर सप्ताह एक उपक्रम का निजीकरण होना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह संभव है, क्योंकि दो दर्जन के करीब सार्वजनिक उपक्रमों के विनिवेश को पहले से ही मंत्रिमंडल की मंजूरी प्राप्त है. पनगढ़िया ने कहा कि एयर इंडिया का निजीकरण होना चाहिए. सरकार के पहले 100 दिन के एजेंडा के बारे में पूछे जाने पर पनगढ़िया ने कहा कि अध्यादेश के जरिये बैंकिंग नियमन कानून में संशोधन किया जाना चाहिए, ताकि रिजर्व बैंक को 12 फरवरी 2018 के उसके सुर्कलर को फिर से अस्तित्व में लाया जा सके. यह सर्कुलर बैंकों में भविष्य में गैर- निष्पादित राशि (एनपीए) पैदा होने से रोक लगाता है.

उन्होंने कहा कि बैंकों में एनपीए समाप्त होना चाहिए और ऋण वृद्धि को फिर से बेहतर स्तर पर लाने के वास्ते बैंकों में नई पूंजी डालनी होगी. पनगढ़िया ने कहा कि अमेरिका के व्यापार प्रतिनिध की तरह व्यापार समझौतों पर बातचीत के लिये एक नयी इकाई बनायी जानी चाहिए, जिसे प्रधानमंत्री कार्यालय के तहत रखा जाना चाहिए. दीर्घकालिक सुधारों के मामले में पनगढ़िया ने श्रम कानूनों में सुधार की सिफारिश की है.

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