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NDA की सत्ता में वापसी होने के साथ ही अब भाजपा के चुनावी वादों पर रहेगी नजर

नयी दिल्ली : राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की सत्ता में वापसी तय होने के साथ ही अब भाजपा के टैक्स की दर में कमी और ब्याज मुक्त कृषि कर्ज के चुनावी वादे पर लोगों की नजर होगी. पूर्ण बहुमत के साथ एनडीए लगातार दूसरी बार सत्ता में आने की तैयारी में है. इसके साथ ही, […]

नयी दिल्ली : राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की सत्ता में वापसी तय होने के साथ ही अब भाजपा के टैक्स की दर में कमी और ब्याज मुक्त कृषि कर्ज के चुनावी वादे पर लोगों की नजर होगी. पूर्ण बहुमत के साथ एनडीए लगातार दूसरी बार सत्ता में आने की तैयारी में है. इसके साथ ही, पार्टी के ऊपर आर्थिक वृद्धि को गति देने तथा बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन की चुनौती भी होगी.

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आठ अप्रैल को जारी भारतीय जनता पार्टी के संकल्प पत्र (चुनावी घोषणापत्र) में देश को 2025 तक 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के साथ पार्टी के विकास एजेंडा को रखा गया है. देश की आर्थिक वृद्धि दर 2018-19 में सात फीसदी रही, जो पांच साल का न्यूनतम स्तर है, लेकिन मुद्रास्फीति कमोबेश नियंत्रण में है. टैक्स की कम दर के साथ और ब्याज मुक्त कृषि कर्ज के अलावा पार्टी ने 60,000 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण, सभी गांवों को ग्रामीण सड़कों से जोड़ने, 100 नये हवाईअड्डों को परिचालन में लाने तथा 400 रेलवे स्टेशनों को आधुनिक रूप देने का वादा किया है.

भाजपा ने कहा था कि चुनाव जीतने पर मोदी की अगुवाई वाली उसकी सरकार किसानों को ब्याज मुक्त एक लाख रुपये तक का कर्ज देगी. साथ ही, कृषि क्षेत्र में 25 लाख करोड़ रुपये निवेश करेगी. घोषणापत्र जारी करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि भाजपा भारत को 2047 तक विकसित देश बनाने की दिशा में काम करेगी. भाजपा ने यह भी कहा कि उसकी आर्थिक नीति कर की दर में कमी तथा अनुपालन में सुधार तथा इसके साथ कर दायरा बढ़ाने के सिद्धांत से निर्देशित होगी.

घोषणापत्र में यह भी कहा गया था कि गरीब और किसानों के लिए सामाजिक सुरक्षा का दायरा बढ़ाया जायेगा. सरकार देश में पूंजी निवेश को नयी ऊंचाई पर ले जायेगी. पार्टी ने कहा कि हम बुनियादी ढांचा क्षेत्र में वर्ष 2024 तक 100 लाख करोड़ रुपये का पूंजी निवेश करेंगे. हम इस बात को मानते हैं कि निवेश आधारित वृद्धि के लिए सस्ती पूंजी की जरूरत है.

भाजपा ने कहा कि मुद्रास्फीति को 4 फीसदी के दायरे में रखकर और बैंक प्रणाली को बेहतर बनाकर हमने पूंजी की लागत में संरचनात्मक कमी की गुंजाइश बनायी है. इससे बुनियादी ढांचा निवेश को गति मिलेगी. घोषणापत्र में यह भी कहा गया था कि देश दुनिया की छठी बड़ी अर्थव्यवस्था बन गयी है और जल्दी ही पांच बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों में शामिल होगी.

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