GST के फर्जी बिलों पर लगाम लगाने के लिए दो उप-समूहों का किया गया गठन

नयी दिल्ली : जीएसटी परिषद ने कंपनियों के बीच होने वाले कारोबार के लिए ई-वे बिल निकालने में कारोबारी सीमा तथा उसके सृजन के तौर-तरीकों जैसी नीतिगत तथा तकनीकी पहलुओं पर गौर करने की खातिर दो उप-समूह का गठन किया है. जहां एक उप-समूह ई-इनवॉयस के लिए व्यापार प्रक्रिया, नीति एवं कानूनी पहलुओं का परीक्षण […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 28, 2019 6:48 PM

नयी दिल्ली : जीएसटी परिषद ने कंपनियों के बीच होने वाले कारोबार के लिए ई-वे बिल निकालने में कारोबारी सीमा तथा उसके सृजन के तौर-तरीकों जैसी नीतिगत तथा तकनीकी पहलुओं पर गौर करने की खातिर दो उप-समूह का गठन किया है. जहां एक उप-समूह ई-इनवॉयस के लिए व्यापार प्रक्रिया, नीति एवं कानूनी पहलुओं का परीक्षण करेगा. वहीं, दूसरा इसके क्रियान्वयन को लेकर तकनीकी पहलुओं के बारे में अपनी सिफारिशें देगा. इसके साथ ही, ये उप-समूह नीतिगत मुद्दों पर कंपनियों के बीच (बी 2 बी) आपूर्ति के मामले में फर्जी बिलों पर लगाम लगाने के लिए तत्काल कदम उठाने को लेकर भी सुझाव देगा.

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राजस्व विभाग मुख्य रूप से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत चोरी रोकने के लिए इलेक्ट्रॉनिक या ई-वे बिल अथवा ई-चालान पर जोर देता रहा है. ई-वे बिल के लिए नीति मुद्दों पर गठित उप-समूह इसके प्रारूप, पोर्टल से इनवॉयस निकालने के लिये कारोबार सीमा समेत कानूनी पहलुओं के बारे में सिफारिशें देगा. साथ ही, उच्च कारोबारी सीमा के साथ ‘बी2बी’ आपूर्ति को लेकर तत्काल कदम उठाने के बारे में सुझाव देगा.

उप-समूह बैंक और दूरसंचार जैसे क्षेत्रों के लिए लागू करने तथा चरणबद्ध तरीके से क्रियान्वयन को लेकर संभावित समयसीमा के साथ वैकल्पिक उपायों का भी सुझाव देगा. तकनीकी मुद्दों पर गठित उप-समूह एप आधारित या मोबाइल या एसएमएस अथवा ऑफलाइन या ऑनलाइन, डेटा सुरक्षा तथा प्रणाली एकीकरण समेत बिल निकालने के तरीके के बारे में सिफारिशें देगा.

बी2बी खंड में परियोजना की सफलता के बाद राजस्व विभाग इसे बी2सी (कंपनियों से ग्राहकों के बीच) बिक्री पर लागू करने पर गौर करेगा. यह उन क्षेत्रों पर विशेष रूप से लागू किया जायेगा, जहां कर चोरी की आशंका सर्वाधिक है. अधिकारियों की 13 सदस्यीय समिति के अंतर्गत दो उप-समूह का गठन किया गया है. समिति में केंद्रीय तथा राज्य के कर अधिकारी शामिल हैं.

इसके अलावा, जीएसटी नेटवर्क के मुख्य कार्यपालक अधिकारी भी इसमें हैं. इस समिति का गठन ई-इनवॉयस प्रणाली को पेश करने की व्यवहार्यता पर गौर करने के लिए किया गया है, ताकि इनवॉयस को निकालने तथा अनुपालन बोझ को कम किया जा सके.

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