NCLT ने हुडको के साथ विवाद सुलझाने के लिए बक्शी को दी चार हफ्ते की मोहलत
नयी दिल्ली : राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने विक्रम बक्शी को सार्वजनिक क्षेत्र की आवास एवं शहरी विकास निगम (हुडको) के साथ विवाद निपटाने के लिए चार सप्ताह का समय दिया है. हुडको का दावा है कि उसे मैकडोनॉल्ड्स के पूर्व भागीदार रहे बक्शी से 195 करोड़ रुपये का बकाया वसूलना है. एनसीएलएटी […]
नयी दिल्ली : राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने विक्रम बक्शी को सार्वजनिक क्षेत्र की आवास एवं शहरी विकास निगम (हुडको) के साथ विवाद निपटाने के लिए चार सप्ताह का समय दिया है. हुडको का दावा है कि उसे मैकडोनॉल्ड्स के पूर्व भागीदार रहे बक्शी से 195 करोड़ रुपये का बकाया वसूलना है.
एनसीएलएटी के चेयरमैन न्यायमूर्ति एसजे मुखोपाध्याय की अगुवाई वाली दो सदस्यीय पीठ ने कहा कि बक्शी के पास हुडको से विवाद निपटाने का यह आखिरी मौका है. एनसीएलएटी ने कहा कि हम बक्शी को हुडको के साथ मामला सुलझाने के लिए चार सप्ताह का समय देते हैं. पीठ ने बक्शी को यह भी निर्देश दिया है कि वह उसके समक्ष हलफनामा दायर कर इस घटनाक्रम पर रिपोर्ट दें.
इससे पहले इसी महीने फास्ट फूड सीरीज मैकडोनॉल्ड्स और बक्शी ने अदालत के बाहर मामला निपटाने की घोषणा की थी. मैकडोनॉल्ड्स ने संयुक्त उद्यम कनॉट प्लाजा रेस्टोरेंट्स प्राइवेट लिमिटेड में बक्शी की हिस्सेदारी खरीदने का फैसला किया था. कनॉट प्लाजा रेस्टोरेंट्स उत्तर और पूर्वी भारत में फास्ट फूड सीरीज का परिचालन करती है.
मैकडोनॉल्ड्स और बक्शी ने अपने विवाद को निपटाने के लिए एनसीएलएटी में एक दूसरे खिलाफ मामला वापस लेने की घोषणा की थी, लेकिन हुडको ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि उसे बक्शी से 195 करोड़ रुपये की वसूली करनी है. सुनवाई के दौरान बक्शी की ओर से उपस्थित अधिवक्ता अमित सिब्बल ने एनसीएलएटी से कहा कि उन्होंने हुडको को पहले ही 66 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया है और जमीन भी उसके कब्जे में है.
उन्होंने कहा कि हुडको के कब्जे में पहले से 300 करोड़ रुपये मूल्य की 4.65 एकड़ भारमुक्त संपत्ति है. सिब्बल ने कहा कि बक्शी ने मंगलवार को ऋण वसूली न्यायाधिकरण (डीआरटी) के पास 10 करोड़ रुपये जमा कराये हैं. उन्होंने आगे कहा कि डीआरटी का आदेश अड़चन से अधिक कुछ नहीं है, क्योंकि वह पहले ही आदेशानुसार भुगतान कर चुके हैं और हुडको ऋण वसूली अदालत के आदेश के तहत इस बारे में मुद्दा बना रहा है.
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