नयी दिल्ली : उद्योग मंडल सीआईआई केंद्र तथा राज्य सरकारों के बजट की गुणवत्ता का आकलन करने के लिए ‘राजकोषीय प्रदर्शन सूचकांक’ लेकर आया है. सीआईआई ने बुधवार को एक बयान में कहा कि समग्र राजकोषीय प्रदर्शन सूचकांक (एफपीआई) एक अनूठा साधन है. इसके जरिये केंद्र एवं राज्य सरकारों के बजट की गुणवत्ता का आकलन करने के लिए कई संकेतकों का उपयोग किया गया है.
सूचकांक को तैयार करने के लिए संयुक्त विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) के मानव विकास सूचकांक प्रक्रिया को अपनाया गया है. राजकोषीय प्रदर्शन का प्रस्तावित समग्र सूचकांक सरकार की बजट की गुणवत्ता के आकलन को लेकर छह तत्वों पर आधारित है. इसमें राजस्व व्यय की गुणवत्ता, पूंजी व्यय की गुणवत्ता राजस्व की गुणवत्ता, राजकोषीय समझदारी का स्तर, जीडीपी के अनुपात के रूप में राजकोषीय घाटा और कर्ज सूचकांक शामिल हैं.
ये है नया फॉर्मूला
राजस्व व्यय की गुणवत्ता का आकलन जीडीपी में ब्याज भुगतान, सब्सिडी, पेंशन और रक्षा मद में भुगतान के मुकाबले राजस्व व्यय की हिस्सेदारी से मापा गया गया है. वहीं, पूंजी व्यय की गुणवत्ता को जीडीपी में रक्षा को छोड़कर पूंजी व्यय की हिस्सेदारी से मापा गया है. राजस्व गुणवत्ता का आकलन जीडीपी के अनुपात में शुद्ध कर राजस्व के आधार पर तथा राजकोषीय समझदारी के स्तर को जीडीपी के अनुपात में राजकोषीय घाटा तथा राजस्व घाटा के स्तर से किया गया है. कर्ज सूचकांक का आकलन जीडीपी के अनुपात में ऋण और गारंटी में बदलाव के आधार पर मापा गया है.
नये सूचकांक में कौन-कौन से तत्व हैं महत्वपूर्ण
नये सूचकांक के तहत बुनियादी ढांचा, शिक्षा, स्वास्थ्य तथा अन्य सामाजिक क्षेत्रों पर व्यय को आर्थिक वृद्धि के लिए लाभकारी माना जा सकता है. साथ ही, कर राजस्व एक बारगी आय के स्रोत की तुलना में अधिक टिकाऊ स्रोत है. अपने विश्लेषण से प्राप्त परिणाम के आधार पर सीआईआई ने कहा कि राजकोषीय जवाबदेही और बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) कानून के तहत केवल एक तत्व पर ध्यान नहीं दिया जाना चाहिए. एफआरबीएम के तहत सरकार ने राजकोषीय घाटे में कमी का लक्ष्य रखा है. सीआईआई के अध्यक्ष विक्रम किर्लोस्कर ने कहा कि इसकी जगह सभी इकाइयों के समग्र प्रदर्शन को व्यय गुणवत्ता, राजस्व प्राप्ति गुणवत्ता और राजकोषीय समझदारी के दृष्टिकोण से आकलन किया जाना चाहिए.
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