मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) लघु वित्तीय बैंकों के लिए सदासुलभ लाइसेंस जारी करने की व्यवस्था के बारे में अगस्त 2019 में दिशानिर्देश जारी करेगा. रिजर्व बैंक ने बृहस्पतिवार को इसकी जानकारी दी. रिजर्व बैंक ने कहा कि छोटे कर्जदारों के लिए बैंकिंग सुविधा को बढ़ावा देने और प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करने के लिये यह किया जा रहा है.
रिजर्व बैंक ने सितंबर 2015 में 10 निकायों को लघु वित्तीय बैंकिंग में उतरने की मंजूरी दी थी. सदासुलभ लाइसेंस व्यवस्था में निकायों को पात्रता होने की स्थिति में लघु वित्तीय बैंक का लाइसेंस लेने के लिए रिजर्व बैंक तक पहुंचने की सुविधा मिलेगी.पात्र निकायों को लाइसेंस के लिए इंतजार नहीं करना होगा क्योंकि यह मांग के आधार पर उपलब्ध होगा.रिजर्व बैंक ने अपने बयान में विकास तथा नियमन की नीतियों के बारे में कहा कि उसने निजी क्षेत्र को भुगतान बैंक और लघु वित्तीय बैंक का लाइसेंस देने के संबंध में 27 नवंबर 2014 को लाइसेंस जारी किया था.
उसने कहा कि इस तरह के बैंकों को लेकर अनुभव जुटा लेने के बाद अब इनके लिए सदासुलभ लाइसेंस व्यवस्था पर विचार किया जा रहा है.बयान में कहा गया, ‘‘लघु वित्तीय बैंकों को देखें तो दस निकायों को ऐसे लाइसेंस जारी किये गये.इनमें से आठ बैंकों को बाद में आरबीआई अधिनियम की दूसरी अनुसूची में भी शामिल कर लिया गया.लघु वित्तीय बैंकों के प्रदर्शन की समीक्षा से यह पता चलता है कि उन्होंने प्राथमिकता क्षेत्रों के लक्ष्यों को प्राप्त कर लिया और इस तरह से वे वित्तीय समावेश को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी पर खरा उतरे.’
जिन 10 निकायों को लघु वित्तीय बैंकिंग का लाइसेंस मिला था उनमें उज्जीवन फाइनेंशियल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, जनलक्ष्मी फाइनेंशियल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, ईएसएएफ माइक्रोफाइनेंस एंड इंवेस्टमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड, इक्विटास होल्डिंग्स लिमिटेड, एयू फाइनेंशियर्स (इंडिया) लिमिटेड, कैपिटल लोकल एरिया बैंक लिमिटेड, दिशा माइक्रोफिन प्राइवेट लिमिटेड, आरजीवीएन (नॉर्थ ईस्ट) माइक्रोफाइनेंस लिमिटेड, सूर्योदय माइक्रो फाइनेंस प्राइवेट लिमिटेड और उत्कर्ष माइक्रो फाइनेंस प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं.
रिजर्व बैंक ने कहा कि इस कारण छोटे कर्जदारों को बैंकिंग सुविधाएं मुहैया कराने तथा प्रतिस्पर्धिता बढ़ाने के लिये इस क्षेत्र में नये निकायों की जरूरत है.बैंक की समीक्षा रपट में कहा गया है, ‘‘अत: अगस्त 2019 के अंत तक छोटे वित्तीय बैंकों के लिये सदासुलभ लाइसेंस की व्यवस्था के संदर्भ में दिशानिर्देश लाने का प्रस्ताव है.यह भी निर्णय लिया गया है कि भुगतान बैंक की श्रेणी में सदासुलभ लाइसेंस की व्यवस्था पर विचार करने से पहले इन बैंकों के प्रदर्शन की समीक्षा के लिए अभी और समय की जरूरत है.’
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