G-20 ने दुनियाभर में बुजुर्गों की बढ़ती संख्या और घटते कार्यबल को लेकर जाहिर की चिंता

फुकुओका : दुनिया में बुजुर्गों की बढ़ती संख्या और घटते कार्यबल को लेकर चिंता बढ़ रही है. जी-20 देशों के वित्तीय नीति निर्माताओं ने पहली बार इस मुद्दे पर चर्चा की है. समूह ने स्वास्थ्य सेवाओं की बढ़ती लागत, काम करने वालों की कमी एवं बुजुर्गों के लिए वित्तीय सेवाओं की चिंता के बीच घटती […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 10, 2019 5:37 PM

फुकुओका : दुनिया में बुजुर्गों की बढ़ती संख्या और घटते कार्यबल को लेकर चिंता बढ़ रही है. जी-20 देशों के वित्तीय नीति निर्माताओं ने पहली बार इस मुद्दे पर चर्चा की है. समूह ने स्वास्थ्य सेवाओं की बढ़ती लागत, काम करने वालों की कमी एवं बुजुर्गों के लिए वित्तीय सेवाओं की चिंता के बीच घटती जन्मदर और बढ़ती उम्र से जुड़े आर्थिक मुद्दों से निपटने पर जोर दिया है.

जी-20 के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के प्रमुखों की जापान में हुई दो दिवसीय बैठक (शनिवार-रविवार) में इस बात पर विचार किया गया. उन्होंने इस समस्या के समाधान पर जोर देते हुए कहा कि इस मामले में बहुत देर होने से पहले जल्दी कुछ करने की जरूरत है. जापान में उम्रदराज होती जनसंख्या एक बड़ी घरेलू समस्या है.

बैठक के मेजबान देश जापान के वित्त मंत्री टारो आसो ने कहा कि आपके समृद्ध होने से पहले उम्रदराज होती जनसंख्या का असर यदि एक बार दिखना शुरू हो गया, तो आप वास्तव में इससे निपटने के लिए प्रभावी कदम नहीं उठा पायेंगे. जी-20 में शामिल देश अभी विकास और जनसंख्या के विभिन्न स्तरों पर हैं. जहां एक तरफ जापान में कुल आबादी में बुजुर्गों का अनुपात अधिक है. वहीं, सऊदी अरब का समाज युवा है. ऐसे में जापान ने अपने अनुभव को जी-20 देशों के साथ साझा किये.

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आसो ने राष्ट्रों को चेतावनी दी कि उम्रदराज होती जनसंख्या के अर्थव्यवस्था पर बढ़ते बोझ से पहले उन्हें तैयार हो जाना चाहिए. आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी) के अनुसार, विभिन्न देशों विशेषकर समृद्ध देशों में लंबी जीवन प्रत्याशा और घटती जन्म दर की वजह से स्पेन, इटली और दक्षिण कोरिया जैसे स्थानों पर उम्रदराज जनसंख्या का विस्तार तेजी से हुआ है, लेकिन यह प्रवृत्ति सिर्फ अमीर देशों तक सीमित नहीं है. ब्राजील और चीन जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाएं को भी तेजी से बदलते जनसांख्यिकी बदलाव का सामना करना पड़ रहा है.

संगठन के अनुसार, 2050 तक दुनिया की दो अरब से ज्यादा आबादी 60 या उससे अधिक उम्र की होगी. यह 2017 के मुकाबले लगभग दोगुना होगा. विशेषज्ञों ने चेतावनी दी कि अधिकतर अर्थव्यवस्थाएं अपनी पेंशन और रोजगार प्रणाली को इसके अनुरूप बदलने में विफल रही हैं. इससे पूरे देश और लोगों पर राजकोष और ऋण का जोखिम बढ़ा है. संगठन के प्रमुख एंजेल गुरिया ने बैठक से इतर समाचार एजेंसी को दिये साक्षात्कार में इसे लेकर चेतावनी दी.

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