नयी दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक की आरक्षित पूंजी की समीक्षा के लिए बनायी गयी विमल जालान समिति इस महीने के अंत तक अपनी रिपोर्ट दे सकती है. एक अधिकारी ने बताया कि रिपोर्ट को अंतिम रूप देने से पहले समिति को एक बैठक और करनी है. सरकार ने रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर जालान की अध्यक्षता में 26 दिसंबर, 2018 को छह सदस्यीय समिति का गठन किया था.
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वित्त मंत्रालय ने रिजर्व बैंक से सर्वश्रेष्ठ वैश्विक नीतियों का पालन करते हुए अधिक अधिशेष सरकार को हस्तांतरित करने के लिए कहा था. बाद में सरकार ने रिजर्व बैंक के आर्थिक पूंजी ढांचे (ईसीएफ) की समीक्षा के लिए इस समिति का गठन कर दिया. रिजर्व बैंक के पास 9.6 लाख करोड़ रुपये से भी अधिक का पूंजी अधिशेष है.
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एक अधिकारी ने बैठक के बाद यहां पत्रकारों से कहा कि जालान समिति एक और बैठक करेगी. इसके बाद अपनी रिपोर्ट इस महीने के अंत तक सौंप देगी. हालांकि, समिति को अपनी रिपोर्ट तीन महीने में सौंपनी थी. देरी की वजह पूछने पर अधिकारी ने कहा कि समिति के सदस्यों के बीच राय में मतभेद था, लेकिन इस पर बातचीत कर ली गयी है.
समिति में रिजर्व बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर राकेश मोहन, वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग, रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एनएस विश्वनाथन और रिजर्व बैंक के केंद्रीय निदेशक मंडल के दो सदस्य भारत दोषी और सुधीर मनकड़ शामिल हैं.
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