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जीएसटी काउंसिल का फैसला : दो साल बढ़ा एनएए का कार्यकाल, इलेक्ट्रिक वाहनों की दर कटौती फिटमेंट समिति के हवाले

नयी दिल्ली : वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद ने राष्ट्रीय मुनाफाखोरी रोधक प्राधिकरण (एनएए) का कार्यकाल दो साल के लिए बढ़ा दिया है. इसके साथ ही, जीएसटी दरों में कटौती का लाभ उपभोक्ताओं को नहीं देने वाली कंपनियों पर 10 फीसदी तक जुर्माना लगाने की मंजूरी दी है. इसके साथ ही, परिषद ने इलेक्ट्रिक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 21, 2019 9:34 PM

नयी दिल्ली : वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद ने राष्ट्रीय मुनाफाखोरी रोधक प्राधिकरण (एनएए) का कार्यकाल दो साल के लिए बढ़ा दिया है. इसके साथ ही, जीएसटी दरों में कटौती का लाभ उपभोक्ताओं को नहीं देने वाली कंपनियों पर 10 फीसदी तक जुर्माना लगाने की मंजूरी दी है. इसके साथ ही, परिषद ने इलेक्ट्रिक वाहनों की टैक्स दरों में कटौती के मामले को फिटमेंट समिति के हवाले कर दिया है.

इसे भी देखें : जीएसटी परिषद की 35वीं बैठक शुरू, वित्त मंत्री सीतारमण पहली बार कर रहीं अध्यक्षता

जीएसटी परिषद की शुक्रवार को यहां हुई 35वीं बैठक के बाद राजस्व सचिव एबी पांडेय ने संवाददाताओं से कहा कि जीएसटी नेटवर्क पर पंजीकरण के लिए कंपनियों को आधार के इस्तेमाल की अनुमति देने का भी फैसला किया गया है. साथ ही जीएसटी व्यवस्था के तहत वार्षिक रिटर्न जमा कराने की तारीख दो महीने बढ़ाकर 30 अगस्त कर दी गयी है.

पांडेय ने यह भी बताया कि एक-फॉर्म वाली नयी जीएसटी रिटर्न प्रणाली एक जनवरी, 2020 से लागू हो जायेगी. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अगुआई वाली परिषद में सभी राज्यों और संघ शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि शामिल हैं. परिषद ने मल्टीप्लेक्स में इलेक्ट्रॉनिक चालान (इनवॉयस) और ई-टिकटिंग को भी मंजूरी दे दी.

पांडेय ने बताया कि बिजली चालित यानी इलेक्ट्रिक वाहनों पर जीएसटी की दर को 12 से घटाकर 5 फीसदी और इलेक्ट्रिक चार्जर पर 18 से घटाकर 12 फीसदी करने का प्रस्ताव फिटमेंट समिति को भेजा गया है. राष्ट्रीय मुनाफाखोरी रोधक प्राधिकरण का कार्यकाल दो साल बढ़ाकर 30 नवंबर, 2021 कर दिया गया है.

जीएसटी को एक जुलाई, 2017 को लागू किया गया था. उसके तत्काल बाद सरकार ने दो साल के लिए एनएए की स्थापना को मंजूरी दी थी. एनएए 30 नवंबर, 2017 को इसके चेयरमैन बीएन शर्मा के कार्यभार संभालने के बाद अस्तित्व में आया था. अभी तक एनएए विभिन्न मामलों में 67 आदेश पारित कर चुका है. उसके बाद भी आने वाली शिकायतों का सिलसिला अभी थमा नहीं है.

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