भाकपा माओवादी व जेपीसी ने हाथ मिलाया, बड़े हमले की तैयारी

पुलिस के जवान और टीपीसी के उग्रवादी निशाने परहजारीबाग व चतरा में सक्रिय है टीपीसी व जेपीसीसुरजीत सिंह, रांचीभाकपा माओवादी और जेपीसी (झारखंड प्रस्तुति कमेटी) ने एक-दूसरे से हाथ मिला लिया है. दोनों संगठनों ने चतरा और हजारीबाग में साथ मिल कर काम करने का फैसला लिया है. हालांकि अभी इसकी घोषणा नहीं की गयी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 18, 2014 5:21 PM

पुलिस के जवान और टीपीसी के उग्रवादी निशाने परहजारीबाग व चतरा में सक्रिय है टीपीसी व जेपीसीसुरजीत सिंह, रांचीभाकपा माओवादी और जेपीसी (झारखंड प्रस्तुति कमेटी) ने एक-दूसरे से हाथ मिला लिया है. दोनों संगठनों ने चतरा और हजारीबाग में साथ मिल कर काम करने का फैसला लिया है. हालांकि अभी इसकी घोषणा नहीं की गयी है. सूत्रों की मानें, तो भाकपा माओवादी के जोनल कमांडर सोहन भुइयां और जेपीसी के सुप्रीमो गुड्डू ने फैसला लिया है कि बड़ा धमाका कर जेपीसी का भाकपा माओवादी में विलय की घोषणा की जायेगी. उल्लेखनीय है कि टीपीसी के गठन के बाद चतरा और हजारीबाग से भाकपा माओवादी का वर्चस्व समाप्त हो चुका है. टीपीसी के उग्रवादी कई माओवादियों की हत्या कर चुके हैं. जेपीसी भी चतरा जिला में कुछ नहीं कर पा रहा है. यही वजह है कि दोनों संगठनों ने टीपीसी के सफाये के लिए साथ मिलने का फैसला लिया है. सूत्रों के मुताबिक दोनों संगठनों के बीच तय हुआ है कि जेपीसी का जिन इलाकों में वर्चस्व है, विलय के बाद भी उस इलाके में उसी के लोग काम करेंगे. लेवी वसूली से लेकर हर तरह का काम जेपीसी उग्रवादियों के जिम्मे ही रहेगा. चतरा में टीपीसी का, जबकि हजारीबाग में जेपीसी का वर्चस्व है. दोनों संगठनों का इस्तेमाल पुलिस भी करती है. जेपीसी के गुड्डू का मधुर संबंध एक डीएसपी से भी है. भाकपा माओवादी का सोहन भुइयां और अरविंद मुखिया अपने दस्ते के साथ समय-समय पर चतरा के कुछ इलाकों में जाता रहता है.लेवी को लेकर लड़ाईनक्सली व उग्रवादी संगठनों के बीच झगड़े वजह लेवी की राशि है. ये संगठन पिपरवार व टंडवा से होनेवाले वैध-अवैध कोयला कारोबारियों से अधिक लेवी वसूलते हैं. हाल ही में टीपीसी के एक उग्रवादी ने चतरा शहर में लेवी की राशि से तीन करोड़ की जमीन खरीदी है. पिछले दिनों जेपीसी के उग्रवादी ने हजारीबाग पुलिस के समक्ष खुलासा किया था कि वह हर माह 50 लाख रुपये लेवी की वसूली करता था. भाकपा माओवादी व जेपीसी के बीच विलय होने के बाद यदि टीपीसी कमजोर पड़ता है, तो टंडवा व पिपरवार के इलाके में भाकपा माओवादी का वर्चस्व कायम हो जायेगा.कहां किसका प्रभाव हैसंगठनवर्चस्वप्रभावटीपीसीचतरा का पिपरवार, टंडवा, सिमरिया, पत्थलगड्ढा, हंटरगंज, प्रतापपुर, लावालौंग कौलेश्वरी आदि थाना क्षेत्रहजारीबाग के बड़कागांव, कटकमसांडी इलाके में भी प्रभाव.जेपीसीहजारीबाग का कटकमसांडी, केरेडारी, बड़कागांव व इचाक चतरा के सिमरिया और पत्थलगड्डा में भी प्रभाव.भाकपा माओवादीहजारीबाग का बड़कागांव, केरेडारी. चतरा का सिमरिया, टंडवा, लावालौंग, प्रतापपुर व कौलेश्वरी इलाके में भी प्रभाव.किस संगठन के पास कितने लोग व कितने हथियारसंगठनलोगहथियारभाकपा माओवादीकरीब 400करीब 300टीपीसीकरीब 500करीब 500जेपीसीकरीब 50करीब 200

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