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ई है मुंबई नगरिया…! महंगाई की मार से दूर हैं विदेशी सीईओ, मुंबईकरों की जेबों पर बढ़ रहा बोझ

मुंबई : देश की वित्तीय राजधानी मुंबई में विदेशी कार्यकारियों पर महंगाई के कारण पड़ने वाला दबाव 2019 में तेजी से कम हुआ है. यह एक औसत भारतीय के ऊपर महंगाई से पड़ने वाले दबाव से कम है. एक अध्ययन में यह दावा किया गया है. मानव संसाधन परामर्श कंपनी मर्सर के अध्ययन के अनुसार, […]

मुंबई : देश की वित्तीय राजधानी मुंबई में विदेशी कार्यकारियों पर महंगाई के कारण पड़ने वाला दबाव 2019 में तेजी से कम हुआ है. यह एक औसत भारतीय के ऊपर महंगाई से पड़ने वाले दबाव से कम है. एक अध्ययन में यह दावा किया गया है. मानव संसाधन परामर्श कंपनी मर्सर के अध्ययन के अनुसार, मुंबई अब भी विदेशी कार्यकारियों के लिए सबसे महंगा भारतीय शहर है. इस पैमाने पर कोलकाता को सबसे सस्ता शहर बताया गया है.

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अध्ययन में कहा गया है कि बाहर खाने की लागत में कमी आने से विदेशी कार्यकारियों के लिए कुल महंगाई की दर साल भर पहले के 5.57 फीसदी से कम होकर 1.76 फीसदी पर आ गयी है. हालांकि, औसत भारतीय के लिए खुदरा मुद्रास्फीति इस दौरान कम होकर 2.50 फीसदी पर आ गयी है. वित्त वर्ष 2019-20 के अंत तक इसके बढ़कर 3.70 फीसदी पर पहुंच जाने की आशंका है.

अध्ययन में मुंबई को 67वां सबसे महंगा शहर बताया गया है. यह पिछले साल की तुलना में दो स्थान नीचे है. अध्ययन में 209 शहरों का आकलन किया गया है. इसमें हांगकांग को लगातार दूसरे साल सबसे महंगा शहर बताया गया है. इसके बाद टोक्यो, सिंगापुर और सियोल का स्थान है.

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