नयी दिल्ली/ब्यूरो : घाटे की वजह से आर्थिक संकट से जूझ रही सार्वजनिक क्षेत्र की विमानन कंपनी एयर इंडिया के पुनरुद्धार के लिए सरकार विनिवेश प्रक्रिया जल्द ही शुरू करेगी. यह बात नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप पुरी ने लोकसभा में भाजपा सांसद राजीव प्रताप रूडी की ओर से पूछे गये सवाल के जवाब में कही. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल एयर इंडिया का घाटा 42.77 फीसदी बढ़कर 7635.46 करोड़ रुपये हो गया है. विमानन कंपनी का यह घाटा पिछले पांच साल में सबसे अधिक है.
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हालांकि, कंपनी के बढ़ते घाटे के मद्देनजर सरकार एयर इंडिया में अपनी हिस्सेदारी बेचने का प्रयास कर रही है, लेकिन कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें और विनिमय दर में उतार-चढ़ाव की वजह से उसे निवेशक नहीं मिल पा रहे हैं. गौर करने वाली बात यह भी है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने करीब दो साल पहले ही यानी 2017 में इसमें विनिवेश प्रक्रिया शुरू किये जाने वाले प्रस्ताव को मंजूर कर चुका है.
चौंकाने वाली बात यह भी है कि कंपनी की विनिवेश प्रक्रिया शुरू करने के लिए सरकार ने टेंडर भी निकाला, लेकिन निजी कंपनियों की ओर से दिलचस्पी नहीं दिखाये जाने की वजह से यह योजना अभी तक सिरे नहीं चढ़ पायी है. अब जबकि इसकी विनिवेश योजना को शुरू करने में सरकार को सफलता हाथ नहीं लग रही है, तो वह चाहती है कि पहले एयर इंडिया की सहायक इकाइयों में विनिवेश किया जाये.
हालांकि, एयर इंडिया को घाटे से उबारने के लिए सरकार ने कंपनी को बीते पांच साल में लगभग 17 हजार करोड़ की रुपये की सहायता भी दी है. लोकसभा में भाजपा सांसद राजीव प्रताप रुडी द्वारा पूछे गये सवाल के जवाब में केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप पुरी ने अपने जवाब में यह बात कही. गौरतलब है कि देश में जेट एयरवेज जैसी कई निजी विमानन कंपनियों को दिवालिया हो घोषित किया जा चुका है. रुडी ने लोकसभा में सवाल में पूछा था कि एयर इंडिया में सरकार की 50 फीसदी हिस्सेदारी होने के बावजूद कंपनी घाटे में क्यों चल रही है?
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