ओसाका : भारत ने शुक्रवार को कहा कि डेटा नये प्रकार का धन है. इसके लिए विकासशील देशों की जरूरतों का ध्यान रखा जाना चाहिए. भारत का यह बयान ऐसे समय आया है, जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत जैसे देशों में खरीद-फरोख्त और भुगतान का देश का डेटा देश के अंदर ही संग्रहीत करने और डिजिटल व्यापार पर शर्तें लगाने की नीतियों को विरोध किया है. गूगल, मास्टरकार्ड, वीजा और अमेजन जैसी अमेरिकी कंपनियां भारत समेत दुनियाभर में डेटा के स्थानीयकरण के खिलाफ लॉबीइंग कर रही है.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ट्रंप की मुलाकात के बाद विदेश सचिव विजय गोखले ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भारत व्यापार और डिजिटल अर्थव्यवस्था के बीच इंटरफेस के महत्व को रेखांकित करता है. उन्होंने कहा कि हम विकास में डेटा की भूमिका पर भी जोर देते हैं. हमारे दृष्टिकोण से डेटा एक महत्वपूर्ण मुद्दा है. यह एक ऐसा मुद्दा है, जिसके ऊपर हम घरेलू स्तर पर भी ध्यान दे रहे हैं, जबकि अंतराष्ट्रीय नियम बनाने का की प्रक्रिया भी चल रही है.
भारत और ब्रिक्स समूह के अन्य देशों का मानना है कि डेटा का विषय बहुपक्षीय विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के दायरे में ही लिया जाना चाहिए, न कि उसके बाहर. विदेश सचिव ने कहा कि डेटा के मामले में विकासशील देशों की जरूरत का भी ध्यान रखा जाना चाहिए. यह एक नये प्रकार की संपत्ति है. ट्रम्प ने जी20 के उद्घाटन सत्र में कहा कि अमेरिका डाटा को स्थानीय स्तर पर रखने की अनिवार्यता के खिलाफ है.
कई अमेरिकी कंपनियों को लगता है कि डेटा को स्थानीय स्तर पर रखने से उनकी लागत बढ़ेगी. अमेरिकी राष्ट्रपति ने जी5 दूरसंचार नेटवर्क के लचीलेपन और सुरक्षा पर भी बल दिया. उन्होंने कहा कि हमारे लिए अपने जी5 नेटवर्कों की के लचीलेपन और सुरक्षा को सुनिश्वत करना जरूरी है. साझा सुरक्षा और समृद्धि के लिए यह जरूरी है.
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