नयी दिल्ली : माल एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था को लागू हुए दो साल पूरे हो गये हैं. भारतीय उद्योग ने ऐसे में राय जतायी है कि अब इस कर सुधार का तेजी से दूसरा चरण शुरू होना चाहिए और जीएसटी के दायरे में बिजली, तेल एवं गैस, रीयल एस्टेट और अल्कोहल को लाया जाना चाहिए. साथ ही कर के स्लैब को दो-तीन तक सीमित किया जाना चाहिए.
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआइआइ) के अध्यक्ष विक्रम किर्लोस्कर ने कहा कि जीएसटी 2.0 भारतीय अर्थव्यवस्था को वृद्धि के अगले चरण पर ले जायेगा. सीआइआइ ने अखिल भारतीय स्तर पर एकल पंजीकरण प्रक्रिया की भी वकालत की.
एक अन्य उद्योग मंडल फिक्की के अध्यक्ष संदीप सोमानी ने कहा, ‘हम इस बात को स्वीकार करते हैं कि जीएसटी के क्रियान्वयन को लेकर समस्या अब सुलझ गयी है. हमें आगे बढ़ते हुए जीएसटी ढांचे के उद्देश्य यानी सरलीकृत अप्रत्यक्ष कराधान प्रणाली के लिए काम करना चाहिए.’
उद्योग मंडल ने कहा कि जब अग्रिम निर्णय प्राधिकरण (एएआर) के सदस्य राज्य कर या केंद्रीय कर विभाग के अधिकारी होते हैं, तो झुकाव राजस्व की ओर रहता है. इसी आधार पर वे जीएसटी कानून की व्याख्या करते हैं और फैसला सुनाते हैं.
स्वतंत्र उच्चस्तरीय केंद्रीय निकाय बने : फिक्की
फिक्की ने कहा कि विभिन्न राज्यों में राजस्व अधिकारियों के अलग-अलग फैसलों से एक असमंजस की स्थिति उत्पन्न हुई है. उद्योग मंडल ने सुझाव दिया कि सरकार को पूर्ववर्ती अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था की तर्ज पर ही एक स्वतंत्र उच्चस्तरीय केंद्रीय निकाय के गठन पर विचार करना चाहिए.
दो साल में मजबूत हुआ जीएसटी : सीआइआइ
सीआइआइ के पूर्व अध्यक्ष एवं वरिष्ठ उद्योगपति आदि गोदरेज ने कहा कि दो साल में जीएसटी मजबूत हुआ और इसने अच्छे परिणाम दिये हैं. सीआइआइ के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि भारतीय उद्योग जगत ने भी काफी लचीला रुख दिखाया है और जीएसटी को सफलतापूर्वक लागू करने में मदद दी है.
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