नयी दिल्ली : भारतीय दूरसंचार उद्योग के लिए 5जी प्रौद्योगिकी वैश्विक बाजारों तक पहुंच बढ़ाने का अवसर होगी. संसद में बृहस्पतिवार को पेश 2018-19 की आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि पांचवीं पीढ़ी की मोबाइल सेवा से दूरसंचार कंपनियां डिजिटल भुगतान, ज्ञान और सेवा अर्थव्यवस्था के निर्माण में सहयोग दे सकेंगी.
सरकार की योजना 2020 तक भारत को 5जी के लिए तैयार करने की है और 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी इसी साल कराने की तैयारी है. समीक्षा में कहा गया है कि भारत के लिए 5जी उद्योग की वैश्विक बाजार तक पहुंच बढ़ाने का एक अवसर है.
इसमें कहा गया है कि 5जी के जरिये उपभोक्ताओं को बड़े उत्पादन का लाभ मिल सकेगा और नागरिकों को घर के दरवाजे पर सेवाएं मिल सकेंगी. साथ ही इससे उन्हें चिकित्सा समर्थन, लाभ अंतरण, शिक्षा, मनोरंजन जैसे क्षेत्रों में भी फायदा मिलेगा.
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राइ) ने आठ बैंडों में 8,644 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम की नीलामी का सुझाव दिया है. इनमें 700 मेगाहर्ट्ज, 800 मेगाहर्ट्ज, 3.3-3.4 गीगाहर्ट्ज, 3.4-3.6 गीगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम शामिल है. इन स्पेक्ट्रम का अनुमानित आधार मूल्य 4.9 लाख करोड़ रुपये बैठता है.
इक्रियर और बीआइएफ के संयुक्त अध्ययन में दावा किया गया है कि ट्राइ ने कुछ अधिक ऊंचे मूल्य का सुझाव दिया है. इसकी वजह नियामक द्वारा आधार दर की गणना को अपनाये गये सिद्धांतों में भिन्नता है.
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सरकार ने एक उच्चस्तरीय 5जी इंडिया 2020 फोरम का गठन किया था. इसे देश में 5जी के लिए दृष्टकोण बनाना था. इस फोरम ने ‘भारत को 5जी के लिए तैयार करना’ विषय पर अपनी रिपोर्ट अगस्त, 2018 में सौंप दी थी.
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