Union Budget 2019 Economic Survey: आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19 में सामाजिक अवसंरचना खासकर शिक्षा में निवेश के महत्व को रेखांकित किया गया है. समावेशी विकास के लक्ष्य को हासिल करने के लिए इसे विकास रणनीति की प्राथमिकता माना गया है.
आर्थिक समीक्षा के अनुसार, गरीबी तथा अन्य समस्याओं को समाप्त करने के लिए ऐसी नीतियां होनी चाहिए जो शिक्षा को बेहतर बनाती है, असमानता को कम करती है और दीर्घकालिक उपायों के तहत आर्थिक विकास को गति देती है.
सतत विकास लक्ष्य 2030 हासिल करने के लिए भारत गंभीरता से प्रयास कर रहा है. केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमन ने गुरुवार,चार जुलाई को संसद में आर्थिक समीक्षा 2018-19 पेश की.
आर्थिक समीक्षा के अनुसार, प्राथमिक शिक्षा पर विशेष जोर देने के सुखद परिणाम सामने आये हैं, जैसा शैक्षणिक सांख्यिकी, एक नजर में (Educational Statistics – At a Glance) में दिखाया गया है.
12वीं तक की शिक्षा में लड़कियों की संख्या में वृद्धि हुई है. लड़कियों के लिए कुल नामांकन दर (Gross Enrolment Ratio of Boys and Girls) लड़कों के नामांकन दर की अपेक्षा अधिक हो गई है. पहली बार आठवीं कक्षा तक कक्षावार और विषयवार ज्ञान प्राप्ति को शिक्षा में गुणवत्ता प्राप्त करने के लिए विकसित किया गया है.
2018-19 में लांच किये गए समग्र शिक्षा कार्यक्रम का उद्देश्य प्री स्कूल से लेकर 12वीं कक्षा तक गुणवत्तापूर्ण और समावेशी शिक्षा सुनिश्चित करना है. बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओऔर आईसीटी द्वारा संचालित ई-पाठशाला और सारांश जैसे कार्यक्रमों ने शिक्षा प्राप्ति को आसान बनाया है. आर्थिक समीक्षा में 12वीं कक्षा के स्तर पर पढ़ाई छोड़ना, शिक्षकों की कमी और उच्च शिक्षा प्राप्ति के लिए आवश्यक बदलाव को चिंता का विषय माना गया है.
निर्मला सीतारमन द्वारा संसद में पेश आर्थिक समीक्षा 2018-19 में कहा गया है कि केंद्र और राज्यों द्वारा सामाजिक सेवाओं पर परिव्यय 2014-15 के 7.68 लाख करोड़ से बढ़कर 2018-19 (बजट अनुमान) में 13.94 लाख करोड़ हो गया.
केंद्र और राज्यों द्वारा सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात के रूप में सामाजिक सेवाओं पर खर्च में 1 प्रतिशत से अधिक अंकों की वृद्धि दर्ज की गई. इसके फलस्वरूप सामाजिक सेवाओं पर खर्च वर्ष 2014-15 में 6.2 से बढ़कर वर्ष 2018-19 (बजट अनुमान) में 7.3 प्रतिशत तक हो गया है.
जीडीपी के प्रतिशत के रूप में शिक्षा पर किये जाने वाला खर्च 2014-15 में 2.8 प्रतिशत था जो 2018-19 (बजट अनुमान) में बढ़कर 3 प्रतिशत हो गया. इसी प्रकार जीडीपी के प्रतिशत के रूप मंर स्वास्थ्य पर सार्वजनिक परिव्यय 1.2 से बढ़कर 1.5 प्रतिशत हो गया.
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