”GST परिषद और वित्त आयोग के बीच में विचार-विमर्श करने की एक मैकेनिज्म होनी चाहिए”

भोपाल : 15वें वित्त आयोग के चेयरमेन एनके सिंह ने गुरुवार को कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद और वित्त आयोग के बीच में विचार-विमर्श करने की एक व्यवस्था होनी चाहिए. इसके लिए हमने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन से आग्रह किया है और उनकी ओर से सकारात्मक जवाब मिला है. जीएसटी से […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 4, 2019 10:18 PM

भोपाल : 15वें वित्त आयोग के चेयरमेन एनके सिंह ने गुरुवार को कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद और वित्त आयोग के बीच में विचार-विमर्श करने की एक व्यवस्था होनी चाहिए. इसके लिए हमने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन से आग्रह किया है और उनकी ओर से सकारात्मक जवाब मिला है. जीएसटी से भविष्य में राज्यों को होने वाले नुकसान के बारे में पूछे गये एक सवाल के जवाब में सिंह ने यहां संवाददाताओं को बताया कि जीएसटी का मामला वित्त आयोग से सीधे तरह से संबंधित नहीं है, क्योंकि जीएसटी परिषद एक संवैधानिक संस्था है. …और वे स्वयं स्वायत्त रूप से अपना निर्णय देते हैं.

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उन्होंने कहा कि वित्त आयोग को पांच वर्षों के राजस्व की गणना करनी पड़ती है. इसलिए जीएसटी परिषद के निर्णयों पर वित्त आयोग को ध्यान रखना पड़ता है. सिंह ने बताया कि इस आधार पर हम एक मॉडल बनायेंगे. उसके लिए बहुत जरूरी है कि जीएसटी की दरें, जीएसटी की प्रक्रिया और जीएसटी में संभावनाएं (प्रिडेक्टिबिलिटी) और जिस रफ्तार से रिफंड्स दे रहे हैं, उसमें सुधार की आवश्यकता है.

उन्होंने कहा कि इन सभी चीजों को देखते हुए भूतपूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली से हमने आग्रह किया था कि इसके लिए एक ऐसी प्रक्रिया होनी चाहिए, जिसमें जीएसटी परिषद और वित्त आयोग के बीच में विचार-विमर्श करने की एक व्यवस्था कायम हो. सिंह ने कहा कि मैंने यह बात फिर से वर्तमान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से दोहरायी है और उनका जो वक्तव्य आया है, वह निश्चत रूप से सकारात्मक है.

उन्होंने बताया कि वित्त आयोग को आशा बनी है कि जल्द ही हम लोग जीएसटी परिषद से एक इंटरेक्शन करेंगे और डायलॉग मैकेनिज्म कायम करेंगे, जिससे जीएसटी परिषद के निर्णयों का जो असर हम लोगों के ऊपर, केंद्र के ऊपर और विशेष रूप से राज्यों के ऊपर पड़ रहा है, उसके ऊपर कोई निश्चित कदम उठाये जायेंगे. सिंह से सवाल किया गया था कि जीएसटी से सभी राज्यों को नुकसान हो रहा है. अभी तो केंद्र सरकार राज्य सरकारों को क्षतिपूर्ति दे रही है. बाद में क्या होगा? कब तक क्षतिपूर्ति करेंगे?

एक अन्य सवाल के जवाब में सिंह ने बताया कि देश का हर राज्य केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी 42 फीसदी से बढ़ाकर 50 फीसदी किये जाने की मांग कर रहा है, जबकि केंद्र सरकार 42 फीसदी देने में ही खुश नहीं है, 50 फीसदी की बात तो छोड़ो. हमें इसमें उचित संतुलन बनाना है. इससे पहले, बुधवार को मध्यप्रदेश के दौरे पर आये वित्त आयोग के चेयरमेन एनके सिंह एवं अन्य सदस्यों ने मुख्यमंत्री कमल नाथ से आज मंत्रालय में मुलाकात की.

इस दौरान कमलनाथ ने वित्त आयोग के सदस्यों को राज्य के वित्तीय प्रबंधन एवं वित्तीय आवश्यकताओं की जानकारी देते हुए कहा कि प्रदेश हित में यह जरूरी है कि राज्य को अधिक से अधिक संसाधन उपलब्ध हो. मुख्यमंत्री ने वित्त आयोग से अपेक्षा की कि वे देश के सभी राज्यों को अधिक से अधिक राशि उपलब्ध करायेंगे. उन्होंने कहा कि राज्यों के विकास से ही देश का विकास होगा. इस मौके पर केंद्रीय वित्त आयोग के सदस्य अजय नारायण झा, रमेश चंद्र, अशोक लाहिड़ी, अनूप सिंह एवं आयोग के सचिव अरविंद मेहता उपस्थित थे.

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