लंबी अवधि के लिए निवेश होगा फायदेमंद

ललित त्रिपाठी, निदेशक, वेदांत एसेट्स शुक्रवार हो देश की पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री ने मोदी सरकार की दूसरी पारी का पहला बजट पेश किया है. यह एक ऐसा बजट है जिसे लंबी अवधि को ध्यान में रख कर तैयार किया गया है. अगले पांच वर्षों में देश की अर्थव्यवस्था को तीन ट्रिलियन से पांच […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 8, 2019 9:06 AM
ललित त्रिपाठी, निदेशक, वेदांत एसेट्स
शुक्रवार हो देश की पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री ने मोदी सरकार की दूसरी पारी का पहला बजट पेश किया है. यह एक ऐसा बजट है जिसे लंबी अवधि को ध्यान में रख कर तैयार किया गया है. अगले पांच वर्षों में देश की अर्थव्यवस्था को तीन ट्रिलियन से पांच ट्रिलियन ले जाने के लिए इसमें बहुत सारी घोषणाएं की गयीं हैं. इनसे ऐसा प्रतीत हो रहा है कि आनेवाले समय में आरबीआइ ब्याज दर और कम कर सकती है.
इससे बाजार में लिक्विडिटी बढ़ेगी और बैंको के एफडी के ब्याज दरों में कमी देखने को मिलेगी. वहीं दूसरी ओर सरकार ने टैक्स नेट में और लोगों को लाने के लिए बहुत सारी घोषणाएं की हैं. जैसे कि अब आधार नंबर से आइटीआर दाखिल किया जा सकता है, सालाना एक लाख से ऊपर बिजली बिल देनेवालों और विदेश यात्रा में दो लाख से ज्यादा खर्च करनेवालों को आइटीआर जमा करना अनिवार्य किया गया है.
बजट में इंफ्रास्ट्रक्चर, ऊर्जा, उच्च शिक्षा, किसान और निम्न आय वर्ग के लिए किफायती घर पर विशेष जोर दिया गया है. इसके लिए पांच सालों के लिए 20 लाख करोड़ आवंटित किया गया है. कुछ वस्तुओं पर कस्टम ड्यूटी बढ़ा दी गयी है जिससे बाहर से आनेवाले समान महंगे हो जायेंगे.
वहीं कुछ वस्तुओं के निर्माण के लिए जरूरी सामानों पर आयात शुल्क घटा दिया गया है. इससे स्पष्ट है कि सरकार मैनुफैक्चरिंग सेक्टर को बढ़ावा देते हुए मेक इन इंडिया को मजबूती प्रदान की है. इसका दूरगामी परिणाम मैनुफैक्चरिंग सेक्टर पर पड़ेगा. इस बजट में लोगों को खुश करने की कोशिश नहीं की गयी है. लोक लुभावन बनाने के बजाय अर्थव्यवस्था में जान फूंकने की कोशिश की गयी है.
पब्लिक शेयर होल्डिंग में बदलाव की वजह से 4 लाख करोड़ के शेयर निवेशकों के लिए उपलब्ध होंगे. कंपनियों में लोगों की भूमिका बढ़ेगी व पारदर्शिता आयेगी
स्मॉल कैप और मिड कैप की चुनिंदा कंपनियों में निवेश बेहतर साबित होगा
म्यूचुअल फंड में दीर्घावधि के लिए एसआइपी से किया गया निवेश प्रभावित नहीं होगा
सोने की खरीदारी में आयेगी कमी
सोना पर कस्टम ड्यटी लगाकर सरकार इसे हतोत्साहित कर रही है. अब सोना-चांदी के दाम बढ़ेंगे और इससे उनकी खरीदारी कमजोर होगी. इसकी तुलना में पेपर गोल्ड और सॉवरिन बॉन्ड की तरफ निवेशकों का आकर्षण बढ़ेगा.
बजट के दिन शेयर बाजार में आयी गिरावट के दो मुख्य कारण
सूचीबद्ध कंपनियों में न्यूनतम पब्लिक होल्डिंग 25% से बढ़ा कर 35% कर दी गयी है. इससे बाजार में लगभग चार लाख करोड़ के शेयर निवेशकों के लिए उपलब्ध रहेंगे. बहुत सारी कंपनियों को अपना शेयर डायलूट करना होगा. तात्कालिक रूप से इसका नकारात्मक प्रभाव बाजार पर पड़ा, परंतु लंबे समय के लिए यह अच्छा कदम है. इससे कंपनियों में लोगों की भागीदारी बढ़ेगी और पारदर्शिता आयेगी.
शेयरों की बायबैक पर 20% का टैक्स लगा दिया गया है. तात्कालिक रूप से इससे आइटी के शेयरों में गिरावट देखने को मिली है. कंपनियां अपने डिविडेंट डिस्ट्रिब्यूशन टैक्स को बचाने के लिए बायबैक की नीति अपनाती थी, जिससे सरकार को कोई टैक्स नहीं देना पड़ता था.
जैसे टीसीएस ने 2018 में 13 हजार करोड़ और 2019 में 16 हजार करोड़ का बायबैक किया था और इंफोसिस ने 2018 में 13 हजार करोड़ और 2019 में 8260 करोड़ का बायबैक किया था. सरकार की आय में बढ़ोतरी होगी. बायबैक वाली कंपनियों को डिविडेंट देने के लिए प्रोत्साहित करेगी.
रियल स्टेट व हाउसिंग फिनांस में तेजी आयेगी
निम्न आय वर्ग के लोगों को किफायती मकान के लिए लोन के ब्याज में अतिरिक्त छूट देकर रियल स्टेट सेक्टर के लिए सकारात्मक पहल की गयी है. इससे 15 साल के होम लोन में लगभग सात लाख रुपये की बचत होगी.
इससे घर खरीदने वालों की संख्या बढ़ेगी. परिणामस्वरूप होम लोन देनेवाली कंपनियों के साथ-साथ घर बनाने वाली कंपनियों की स्थिति बेहतर होगी. रियल स्टेट सेक्टर में जो मंदी चल रही थी, उसमें सुधार होगा. एनबीएफसी की वजह से आयी लिक्विडिटी की समस्या से निबटने के लिए बैंकों को 70 हजार करोड़ का सहयोग किया है, ताकि बैंक उनके एसेट्स को खरीद सके. इससे बैंकों की स्थिति सुधरेगी जिससे एनबीएफसी और हाउसिंग फिनांस के शेयरों में अच्छे रिटर्न मिलने की संभावना है.
स्मॉल व मिड कैप कंपनियों में अच्छे रिटर्न की संभावना
2017 में जिन लोगों ने इस सेक्टर में निवेश किया है, उनके पोर्टफोलियो आज भी निगेटिव ही होगें या कोई लाभ नहीं दे रहे होंगे, क्योंकि मिड और स्मॉल कैप में आने वाली कंपनियों में पिछले दो वर्षों में 40 से 80 प्रतिशत तक निगेटिव रिटर्न देखने को मिला है.
अब ऐसी संभावना है कि इस सेक्टर में आनेवाले 2-3 साल के बाद ही अच्छे रिटर्न मिलेगी, क्योंकि भारत में मैनुफैक्चरिंग में जुटी अधिकांश कंपनियां स्मॉल कैप में हैं.सरकार डोमेस्टिक मैनुफैक्चरिंग को बढ़ावा व रियायतें दे रही है. छोटे व मंझोले रियल स्टेट की कंपनियों, हाउसिंग फिनांस व अच्छे एनबीएफसी, मैनुफैक्चरिंग सेक्टर की कंपनियों, इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर की कंपनियों और रेलवे के उत्पाद बनाने वाली कंपनियों में अगले दो-तीन साल में बेहतर रिटर्न आ सकते हैं.
म्यूचुअल फंड के एसआइपी पर नहीं पड़ेगा असर
म्यूचुअल फंड में एसआइपी से किये जा रहे निवेश पर कोई असर नहीं होगा. एसआइपी के माध्यम से आनेवाले समय में इक्विटी में निवेश बेहतर रिटर्न देंगे. अगर अभी एसआइपी में रिटर्न नहीं बन रहा है, तो भी उसे चलने दें. आनेवाले समय में अच्छे रिटर्न की अपेक्षा की जा सकती है.
वित्त मंत्री ने बजट में कहा है कि सीपीएसइ इटीएफ को इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम के अनुरूप लाया जा रहा है. यानी सीपीएसइ इटीएफ में आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर छूट मिल सकती है.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

Next Article

Exit mobile version