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रिजर्व बैंक गवर्नर ने कहा, सॉवरेन बॉन्ड जारी करने पर सरकार से की जायेगी बातचीत

मुंबई : रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने सोमवार को पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने के बाद मुद्रास्फीति पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर कहा कि इस पर विचार-विमर्श करने के लिए आगामी एक अगस्त को मौद्रिक नीति समिति की बैठक आयोजित की जायेगी. उन्होंने कहा कि हमारी आंतरिक टीम इसका मूल्यांकन करेगी. ऐसा भी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 8, 2019 5:36 PM

मुंबई : रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने सोमवार को पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने के बाद मुद्रास्फीति पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर कहा कि इस पर विचार-विमर्श करने के लिए आगामी एक अगस्त को मौद्रिक नीति समिति की बैठक आयोजित की जायेगी. उन्होंने कहा कि हमारी आंतरिक टीम इसका मूल्यांकन करेगी. ऐसा भी नहीं है कि एकदम अगले ही दिन से इसका प्रभाव मुद्रास्फीति पर दिखाई देने लगेगा. ऐसा होने में समय लगता है.

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इसके साथ ही, सॉवरेन बॉन्ड जारी करने को लेकर सरकार के साथ बातचीत की जायेगी. उनका यह बयान सरकार की ओर से बैंकों में 70,000 करोड़ रुपये पूंजी डालने की घोषणा करने के बाद आया है. इस सिलसिले में उन्होंने कहा कि बैंकों में 70,000 करोड़ रुपये की पूंजी डालने का सरकार की ओर से किया गया फैसला काफी सकारात्मक घटनाक्रम है.

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि फिलहाल, नीतिगत ब्याज दरों में कटौती के लाभ का प्रसार होने में पहले से भी कम समय लगेगा. उन्होंने कहा कि आगामी हफ्तों और महीनों में ब्याज दरों में कटौती का लाभ अधिक तेजी से ग्राहकों तक पहुंचेगा. गवर्नर दास ने कहा कि हम एनबीएफसी और उनके परिचालन की नियमित रूप से निगरानी कर रहे हैं. बैंकों में नकदी की समस्या का तेजी से बढ़चढ़कर समाधान किया गया है. उन्होंने कहा कि एक जून से प्रणाली में धन की कोई कमी नहीं है.

गौरतलब है कि सरकार ने शुक्रवार को संसद में वित्त वर्ष 2019-20 के लिए पेश बजट में सरकारी बैंकों में 70,000 करोड़ रुपये की पूंजी डालने का प्रस्ताव किया है. बजट में सरकार की ओर से बैंकों में पूंजी डालने का प्रस्ताव करने को लेकर दुनिया भर की अर्थव्यवस्था की रेटिंग तय करने वाली एजेंसी एसएंडपी ने काफी सकारात्मक बताया है. उसने ‘भारत का बजट : वित्तीय क्षेत्र में विश्वास की कमी को दूर करने का प्रयास’ शीर्षक नोट में कहा कि सरकार का यह कदम (सरकारी बैंकों में पूंजी डालना) से बैंकिंग क्षेत्र और अर्थव्यवस्था के लिए ऋण माहौल सुधारने वाला है.

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