लोकसभा में कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने सरकार पर लगाया रेलवे के निजीकरण का आरोप
नयी दिल्ली : कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दलों ने गुरुवार को सरकार पर आरोप लगाया कि आम बजट में रेलवे में सार्वजनिक-निजी साझेदारी (पीपीपी), निगमीकरण और विनिवेश पर जोर देने की आड़ में इसे निजीकरण के रास्ते पर ले जाया जा रहा है. विपक्ष ने सरकार को घेरते हुए कहा कि सरकार को बड़े वादे […]
नयी दिल्ली : कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दलों ने गुरुवार को सरकार पर आरोप लगाया कि आम बजट में रेलवे में सार्वजनिक-निजी साझेदारी (पीपीपी), निगमीकरण और विनिवेश पर जोर देने की आड़ में इसे निजीकरण के रास्ते पर ले जाया जा रहा है. विपक्ष ने सरकार को घेरते हुए कहा कि सरकार को बड़े वादे करने की बजाय रेलवे की वित्तीय स्थिति सुधारने तथा सुविधा, सुरक्षा एवं सामाजिक जवाबदेही का निर्वहन सुनिश्चित करना चाहिए.
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सत्तारूढ़ भाजपा ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि रेलवे रोजाना नये प्रतिमान और कीर्तिमान गढ़ रहा है तथा पिछले पांच साल में साफ-सफाई, सुगमता, सुविधाएं, समय की बचत और सुरक्षा आदि हर क्षेत्र में सुधार हुआ है. अब सरकार का जोर रेलवे में वित्तीय अनुशासन लाने पर है.
लोकसभा में वर्ष 2019-20 के लिए रेल मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदानों की मांगों पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने आरोप लगाया कि आम बजट में रेलवे में सार्वजनिक निजी साझेदारी (पीपीपी), निगमीकरण और विनिवेश पर जोर दिया गया है, जो भारतीय रेल का निजीकरण नहीं करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वाराणसी में किये वादे के खिलाफ है.
चौधरी ने आरोप लगाया कि रायबरेली कोच फैक्टरी सहित सात रेल उत्पादन इकाइयों का निगमीकरण करने की पहल की जा रही है. यह निजीकरण की ओर बढ़ने का रास्ता है. उन्होंने कहा कि सरकार की इस पहल के कारण आम लोगों और श्रमिकों में खलबली मच गयी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी में कहा था कि रेलवे का निजीकरण नहीं किया जायेगा, लेकिन आम बजट में रेलवे में पीपीपी, निगमीकरण और विनिवेश पर जोर दिया गया है.
कांग्रेस नेता ने कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस नीत यूपीए सरकार का रेलवे के संदर्भ में रणनीतिक दृष्टिकोण था, लेकिन वर्तमान सरकार निगमीकरण और बेचने के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने में लगी हुई है. उन्होंने आरोप लगाया कि आप सिर्फ सपने दिखाते हैं. आप कहते कुछ हैं और करते कुछ हैं. ऐसे में कौन भरोसा करेगा.
चर्चा में हिस्सा लेते हुए भाजपा के सुनील कुमार सिंह ने कहा कि रेलवे पहले से कहीं अधिक सुव्यवस्थित है और इसमें साफ-सफाई, सुगमता, सुविधाएं, समय की बचत और सुरक्षा आदि हर क्षेत्र में सुधार हो रहा है. अब सरकार का उद्देश्य रेलवे में वित्तीय अनुशासन लाना है. उन्होंने कहा कि भारतीय रेलवे नित प्रतिदिन नये प्रतिमान, कीर्तिमान गढ़ रहा है. सरकार ने लगातार रेलवे के विस्तार के लिए काम किया है और जो लक्ष्य निर्धारित किये हैं, उन्हें पूरा भी किया जायेगा.
सिंह ने पूर्ववर्ती यूपीए सरकार पर रेल बजटों में तमाम घोषणाएं और नयी रेल लाइनों के शुरू करने का ऐलान करने, लेकिन उन्हें पूरा नहीं करने का आरोप लगाया. उन्होंने आरोप लगाया कि यूपीए के समय किये गये वादों का 10 फीसदी भी काम नहीं किया गया. कांग्रेस नीत सरकार के समय रेल बजट दबाव समूहों के प्रभाव में पेश किये जाते थे, लेकिन मोदी सरकार ने रेलवे को मुख्यधारा में शामिल करने के लिए इसे आम बजट में शामिल किया और सरकार देश के लिए बजट पेश करती है.
भाजपा सांसद ने कहा कि 2009-14 में जहां रेलवे का पूंजी परिव्यय 2.3 लाख करोड़ था, वह 2014-19 के पांच साल में 4.97 लाख करोड़ रुपये हो गया. इस साल के बजट में पूंजी व्यय 1.6 लाख करोड़ रुपये प्राप्त करने का लक्ष्य रखा गया है, जो यूपीए सरकार के पहले पांच साल (2004-09) के कार्यकाल में रहे 1.25 लाख करोड़ रुपये के पूंजी व्यय से भी ज्यादा है.
चर्चा के दौरान द्रमुक की कनिमोझी ने कहा कि इस सरकार को हर समस्या का समाधान निजीकरण में दिखता है और वह भारतीय रेल में यही करने जा रही है. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी भारतीय रेल और दूसरे सार्वजनिक उपक्रमों में विनिवेश या निजीकरण का पुरजोर विरोध करती है. तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि ट्रेनों में मिलने वाले खान-पान की गुणवत्ता को लेकर शिकायतें रही हैं.आईआरसीटीसी के जरिए इसे और साफ-सफाई को दुरुस्त करने की जरूरत है.
उन्होंने कहा कि भारत जैसे देश में बुलेट ट्रेन व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है. इसलिए बुलेट ट्रेन की बातें सिर्फ अफवाह हैं. यहां हाईस्पीड स्टेशन ही संभव है. सरकार रेलवे में रिक्तियों को कब भरेगी? तृणमूल कांग्रेस की माला राय ने कहा कि सरकार ने रेलवे की आय को बढ़ाने का कोई खाका तैयार नहीं किया है और पूरा जोर सिर्फ सार्वजनिक निजी साझेदारी पर है. इससे रेलवे का भला नहीं होगा.
आईयूएमएल के पीके कुन्हालिकुट्टी ने कहा कि सरकार रेलवे के विकास के बड़े-बड़े दावे कर रही है, लेकिन इसके लिए उचित आवंटन नहीं हुआ है. बीजू जनता दल के चंद्रशेखर साहू ने कहा कि ओडिशा में रेलवे परियोजनाओं की जरूरत है. उन्होंने कहा कि कहा कि फणि तूफान से पुरी रेलवे स्टेशन को बहुत नुकसान हुआ है. इसके विकास की जरूरत है.
भाजपा के गोपाल शेट्टी ने पीपीपी मॉडल को बढ़ावा देने की मांग करते हुए यह भी कहा कि अगर लोग अधिक किराया देकर यात्रा करने को तैयार हैं, तो ऐसे मार्गों पर निजी परिचालन पर सरकार को विचार करना चाहिए. वाईएसआर कांग्रेस के दुर्गा प्रसाद दास ने कहा कि आंध्र प्रदेश में रेलवे परियोजनाओं के विकास के लिए सरकार पूरी मदद दे.
आरएसपी के एनके प्रेमचद्रन ने कहा कि सरकार ने 2030 तक रेलवे में 50 लाख करोड़ रूपये निवेश का लक्ष्य रखा है, यह कैसे पूरा होगा. सरकार इसके लिए केवल सार्वजनिक निजी साझेदारी (पीपीपी) पर निर्भर लगती है. एनसीपी की सुप्रिया सुले ने कहा कि आम बजट और रेल बजट का एकसाथ मिलाने से रेलवे में कौन सा ऐसा बड़ा बदलाव आया, यह सरकार को बताना चाहिए. बजट में 50 लाख करोड़ निवेश का लक्ष्य रखा गया है, जबकि इस साल केवल 1.6 लाख करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया है. ऐसे में तो इस लक्ष्य को हासिल करने में 30 साल लग जायेंगे. उन्होंने कहा कि सरकार पीपीपी पर ही जोर दे रही है. ऐसे में कई आशंकाएं उत्पन्न हो रही हैं.
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