नयी दिल्ली : सरकार ने चालू वित्त वर्ष में 40 लाख टन चीनी का बफर स्टॉक बनाने की मंजूरी दी. चीनी के बंपर उत्पादन के मद्देनजर सरकार ने यह कदम उठाया है. इससे चीनी मिलों को गन्ना किसानों का 15,000 करोड़ रुपये का बकाया चुकाने में मदद मिलेगी. इसके अलावा, 2019-20 के विपणन वर्ष (अक्टूबर-सितंबर) के लिए गन्ने का उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) 275 रुपये प्रति क्विंटल पर कायम रखने का फैसला किया गया है. एफआरपी वह न्यूनतम मूल्य है, जो मिलों को गन्ना खरीद के लिए किसानों को देना होता है. राज्य सरकारें इसके ऊपर गन्ने का राज्य परामर्श मूल्य भी घोषित कर सकती हैं.
इसे भी देखें : महंगाई : चीनी, दाल और तेल की कीमतों ने रसोई का बिगाड़ा जायका, एक माह में प्रति किलो सात रुपये बढ़ी चीनी की कीमत
मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) की बुधवार को यहां हुई बैठक में खाद्य मंत्रालय के चीनी का 40 लाख टन का बफर स्टॉक बनाने की मंजूरी दी गयी. अगस्त, 2018 में केंद्र ने चीनी का 30 लाख टन का बफर स्टॉक बनाया था, जिससे सरकार पर 1,175 करोड़ रुपये का बोझ पड़ा था. यह कदम चीनी मिलों की नकदी की स्थिति सुधारने, गन्ना किसानों के बकाये के भुगतान में मदद और घरेलू स्तर पर चीनी कीमतों को स्थिर करने के लिए उठाया गया था.
देश का चीनी उत्पादन 2018-19 के विपणन वर्ष (अक्टूबर-सितंबर) के दौरान 3.29 करोड़ टन रहने का अनुमान है. चीनी की घरेलू मांग 2.6 करोड़ टन रहने की संभावना है. चीनी उद्योग के संगठन इस्मा के अनुसार, एक अक्टूबर, 2019 को नया चीनी सत्र शुरू होने के समय पुरानी चीनी का भंडार अपने सर्वकालिक उच्चस्तर 1.45 करोड़ टन पर रहने की उम्मीद है. सामान्य तौर पर उस समय 50 लाख टन के स्टाक की जरूरत होती है.
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.