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मोबाइल कंपनियों की दरें तय करने की आजादी पर ट्राई की नजर

नयी दिल्ली: भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने आज चेताया है कि वह दूरसंचार आपरेटरों को मोबाइल कॉल व सेवा दरें तय करने की आजादी की समीक्षा कर सकता है. ट्राई ने कहा है कि यदि दूरसंचार कंपनियां दरों को मौजूदा आधार दरों से अधिक करती हैं, तो वह यह कदम उठाने को बाध्य हो […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 23, 2014 8:25 PM

नयी दिल्ली: भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने आज चेताया है कि वह दूरसंचार आपरेटरों को मोबाइल कॉल व सेवा दरें तय करने की आजादी की समीक्षा कर सकता है. ट्राई ने कहा है कि यदि दूरसंचार कंपनियां दरों को मौजूदा आधार दरों से अधिक करती हैं, तो वह यह कदम उठाने को बाध्य हो सकता है.

ट्राई के चेयरमैन राहुल खुल्लर ने यहां कहा कि वे आधार दरों में बदलाव की उम्मीद नहीं करता. यदि उनमें बदलाव होता है, तो नियामक के पास उसकी समीक्षा का अधिकार है. हम इस मामले में खुले हुए हैं. इसमें कुछ भी छिपाने के लिए नहीं है. उनसे भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण की हाल की सिफारिशों के बाद मोबाइल दरों में संभावित बदलाव के बारे में पूछा गया था. ट्राई ने हाल में स्पेक्ट्रम भागीदारी व लीज लाइनों पर अधिकतम दरों को कम करने का सुझाव दिया है.

इससे मोबाइल आपरेटरों की लागत में कमी आएगी. आधार दरों या बेस रेट वे अधिकतम दरें हैं जो मोबाइल आपरेटर कॉल व सेवाओं के लिए ग्राहकों से वसूल सकता है. हालांकि, आमतौर पर कंपनियां इससे कम दरें लेती हैं. फिलहाल ज्यादातर आपरेटरों का बेस रेट 2 पैसे प्रति सेकेंड है.नियामक दूरसंचार कॉल व सेवाओं की दरें तय करने की आजादी आपरेटरों को देता है, क्‍योंकि उसका मानना है कि बाजार प्रतिस्पर्धा से दरें नियंत्रण में रहेगी.

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