नयी दिल्ली : देश में व्याप्त जल संकट से निपटने के लिए नीति आयोग ने कदम बढ़ा दिया है. वह समुद्र के खारे पानी को पीने योग्य बनाने के लिए संयंत्र लगाने के प्रस्ताव पर काम कर रहा है. इन संयंत्रों को देश के 7,500 किलोमीटर लंबे तटीय क्षेत्र में लगाये जाने का प्रस्ताव है. देश के कई शहर जल संकट से गुजर रहे हैं. हाल ही में, देश के कई भागों खासकर चेन्नई में पीने के पानी का गंभीर संकट उत्पन्न हुआ. इसका कारण कम बारिश की वजह से विभिन्न जलाशयों में पानी का कम होना है.
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सरकार के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि नीति आयोग समुद्री पानी को मीठा बनाने की परियोजना को सागरमाला परियोजना से जोड़ने पर काम कर रहा है. अधिकारी ने अपना नाम नहीं बताने की शर्त पर यह जानकारी दी. सागरमाला का मकसद देश में बंदरगाहों को आधुनिक रूप देना है. इसका उद्देश्य बंदरगाह आधारित विकास को गति देना तथा तटवर्ती क्षेत्रों को विकसित करना है, ताकि वृद्धि को गति मिल सके. अधिकारी ने कहा कि हाल ही में चेन्नई को भारी जल संकट का सामना करना पड़ा. आखिर हम देश के बड़े तटीय क्षेत्रों में नमकीन समुद्री जल को मीठा बनाने का संयंत्र और उसे पाइपलाइन के जरिये लोगों को क्यों नहीं उपलब्ध करा सकते हैं.
नीति आयोग की ओर से पिछले साल जारी समग्र जल प्रबंधन सूचकांक के अनुसार, देश के 60 करोड़ लोगों को जल संकट का सामना करना पड़ रहा है और करीब दो लाख लोगों की साफ पानी के अभाव में मौत हो जाती है. रिपोर्ट में आशंका जतायी गयी थी कि 21 भारतीय शहरें खासकर बेंगलुरु, चेन्नई, दिल्ली और हैदराबाद में 2020 तक पानी की किल्लत होगी. पिछले साल गुजरात सरकार ने मीठा पानी का संयंत्र लगाने को लेकर इस्राइल से तकनीकी सहायता की मांग की थी.
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