नयी दिल्ली : टीसीएस, एचसीएल और इन्फोसिस जैसी सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की प्रमुख कंपनियों ने बुधवार को वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल से मुलाकात की और उनके सामने चीन में बाजार पहुंच और गैर-शुल्कीय बाधाओं का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि इस तरह की बाधाओं से उन्हें वहां अपना कारोबार करने में अड़चनें खड़ी हो रही हैं. बातचीत के दौरान कंपनियों के प्रतिनिधियों ने गोयल को जानकारी दी कि भारत का चीन में निवेश और कारोबार बहुत सी गैर-शुल्क बाधाओं के चलते कारोबार वृद्धि करने में सक्षम नहीं है. चीन में अपनी इकाइयां स्थापित करने में भारतीय कंपनियों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.
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एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, कंपनियों की ओर से बातचीत का मुख्य मुद्दा चीन में बाजार पहुंच को लेकर रहा. इससे उन्हें चीन में अपना कारोबार शुरू करने में कई बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है. यह बैठक बुधवार को हुई. इसमें टीसीएस, सत्यम वेंचर इंजीनियरिंग, एचसीएल, एनआईआईटी टेक, इन्फोसिस, इंवेंटो रोबोटिक्स, टेक महिंद्रा और विप्रो के वरिष्ठ प्रबंधकों ने भागीदारी की.
गोयल ने सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियों के संगठन नासकॉम और कंपनियों के वरिष्ठ प्रबंधकों से कहा कि वह चीन और पूर्वी एशियाई देशों में उन्हें पेश आ रही गैर-शुल्क बाधाओं पर विशिष्ट आंकड़े साझा करें. उन्होंने कहा कि देश के प्रमुख उद्योगों की वैश्विक वृद्धि के लिए भारत सरकार सभी सहायता करेगी. साथ ही सूचना प्रौद्योगिकी सेवा उद्योग को सभी सुविधाएं देने की पूरी कोशिश की जायेगी. इसके लिए वह चीन, जापान और कोरिया से बातचीत करने के लिए भी तैयार है.
इस बैठक में सेवा निर्यात संवर्द्धन परिषद (एसईपीसी) की महानिदेशक संगीता गोडबोले, और नासकॉम के अध्यक्ष देबजानी घोष भी मौजूद थे. भारत के सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र के कारोबार का देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 2016- 17 में 7.7 फीसदी योगदान रहा है. वर्ष 2025 तक इस क्षेत्र का जीडीपी में योगदान 10 फीसदी तक पहुंच जाने का अनुमान है.
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