नयी दिल्ली : विदेश व्यापार और वस्तुओं के आवागमन से जुड़ी बाधाओं की पहचान के लिए राजस्व विभाग देश की पहली राष्ट्रीय ‘टाइम रिलीज स्टडी’ (टीआरएस) करा रहा है. यह अध्ययन देश के 15 बंदरगाहों और हवाईअड्डों पर कराया जा रहा है. दरअसल, टीआरएस अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त एक साधन (टूल) है, जिसका उपयोग अंतरराष्ट्रीय व्यापार के प्रवाह की दक्षता एवं प्रभावकारिता मापने के लिए किया जाता है. इसकी वकालत विश्व सीमा शुल्क संगठन भी करता है.
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वित्त मंत्रालय ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि उसके तहत आने वाला राजस्व विभाग वैश्विक व्यापार बढ़ाने की अपनी रणनीतिक प्रतिबद्धता के तहत 1 से 7 अगस्त के बीच भारत की प्रथम राष्ट्रीय ‘टाइम रिलीज स्टडी (टीआरएस)’ करायेगा. इसके बाद से हर साल इसी अवधि के दौरान इसे संस्थागत रूप प्रदान किया जायेगा. मंत्रालय ने कहा कि उत्तरदायी शासन से जुड़ी इस पहल के जरिये वस्तुओं के आने लेकर इसे भौतिक तौर पर जारी करने तथा मंजूरी के मार्ग में मौजूद नियम आधारित और प्रक्रियागत बाधाओं को मापा जायेगा.
मंत्रालय के अनुसार, इसका मुख्य उद्देश्य व्यापार प्रवाह में मौजूद बाधाओं की पहचान करना एवं उन्हें दूर करना है. साथ ही, प्रभावशाली व्यापार नियंत्रण से कोई भी समझौता किये बगैर सीमा संबंधी प्रक्रियाओं की प्रभावकारिता एवं दक्षता बढ़ाने के लिए आवश्यक नीतिगत एवं क्रियाशील उपाय करना है. इस पहल से निर्यात उन्मुख उद्योग और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) का फायदा होगा. इससे उन्हें अंतरराष्ट्रीय मानकों के समतुल्य भारतीय प्रक्रियाओं को उन्नत बनाने का लाभ मिलेगा.
इस सप्ताह निर्यातकों से बातचीत के दौरान वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था कि देश को पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए हमें अपना निर्यात बढ़ाकर एक हजार अरब डॉलर तक पहुंचाना होगा. यह अध्ययन एक ही समय में 15 बंदरगाहों पर कराया जायेगा, जिनमें समुद्री, हवाई, भूमि एवं शुष्क बंदरगाह शामिल हैं. जमीन पर टीआरएस को केंद्रीय अप्रत्यक्ष एवं सीमाशुल्क बोर्ड द्वारा उतारा जायेगा.
इस पहल से देश को कारोबार सुगमता सूचकांक में विशेषकर सीमा पार व्यापार संकेतक मामले में अपनी बढ़त बरकरार रखने में मदद मिलेगी. पिछले वर्ष कारोबार सुगमता सूचकांक में शामिल विदेश व्यापार प्रक्रिया सुगमता संकेतक में भारत की रैकिंग 146वीं से सुधरकर 80वें स्थान पर पहुंच गयी है.
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