नयी दिल्ली : खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने मंगलवार को कहा कि केंद्र सरकार नवनिर्मित उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम को लागू करने के लिए तीन महीने में नियम तैयार कर देगी और कानून के अनुसार एक प्राधिकारण का गठन भी कर दिया जायेगा. मंत्री ने कहा कि प्राधिकारण में सदस्य रखते समय सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जायेगा. उन्होंने कहा कि नियम का निर्धारण राज्यों, संसद सदस्यों और अन्य हितधारकों के साथ परामर्श कर के तैयार किया जायेगा.
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संसद ने इस महीने की शुरुआत में उपभोक्ता संरक्षण कानून, 1986 को प्रतिस्थापित करने के लिए ‘उपभोक्ता संरक्षण विधेयक 2019′ को मंजूरी दी थी. इस कानून को लागू करने तथा उपभोक्ता विवादों के निपटारे की नयी प्रक्रिया का प्रावधान है. इसमें मिलावट और भ्रामक विज्ञापनों के लिए जेल भेजने सहित कठोर दंडों के प्रावधान भी किये गये हैं. उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा कि नियमों को तैयार करते समय हम इस महीने के अंत में सांसदों के साथ परामर्श करेंगे. हम पूर्व उपभोक्ता मामलों के सचिवों को भी बुलायेंगे. हम नियमों को बेहद सतर्कता के साथ तैयार करेंगे, ताकि उपभोक्ताओं की सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सके.
पासवान ने इस कानून के तहत केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) की स्थापना के प्रावधान को ‘क्रांतिकारी’ कदम करार दिया, जिससे इस कानून को जरूरी ताकत दी गयी है. उन्होंने कहा कि यह प्राधिकरण किसी भी किसी भी उपभोक्ता मामलों का अपनी ओर से संज्ञान ले सकता है, जांच शुरू कर सकता है और उपयुक्त कार्रवाई कर सकेगा. मंत्री ने कहा कि उपभोक्ता कहीं से भी शिकायत दर्ज करा सकते हैं और उन्हें अपने मामलों का प्रतिनिधित्व करने के लिए वकील नियुक्त करने की आवश्यकता नहीं है.
उन्होंने कहा कि मध्यस्थता के लिए नियमों में निश्चित समयावधि तय की जायेगी. जिला, राज्य और केंद्रीय उपभोक्ता मंचों (जिसे अब आयोग कहा जायेगा) में लंबित मामलों पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि वह सभी राज्यों को इन मंचों में रिक्तियों को भरने के साथ साथ अच्छा बुनियादी ढांचा और अच्छी तनख्वाह भी प्रदान करने के बारे में पत्र लिखेंगे. भ्रामक विज्ञापनों के बारे में पासवान ने कहा कि निर्माताओं के लिए जेल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है. मशहूर हस्तियों के लिए जेल का कोई प्रावधान नहीं है, लेकिन अगर वे भ्रामक विज्ञापन करते पाये जाते हैं, तो उन्हें उन उत्पादों का समर्थन करने पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है.
मंत्री ने बताया कि बहुत से निर्माता अभी भी 2016 के उस नियम का पालन नहीं कर रहे हैं, जिसमें उत्पादों की पैकिंग पर एमआरपी, मात्रा, विनिर्माण/ समाप्ति की तारीख और शिकायतों के निवारण तंत्र को प्रमुखता से प्रदर्शित करने का प्रावधान है. मंत्री ने बताया कि उन्होंने विभाग से इसके अनुपालन के लिए की गई कार्रवाई पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने को कहा है.
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