PM Modi ने वित्त मंत्री सीतारमण के साथ की अर्थव्यवस्था की समीक्षा

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ मिलकर अर्थव्यवस्था की विस्तृत समीक्षा की. दोनों के बीच यह समीक्षा बैठक ऐसे समय हुई है, जब सरकार को अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में तेजी से फैल रही नरमी का सामना करना पड़ रहा है. इससे निवेशकों की संपत्ति का […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 15, 2019 5:33 PM

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ मिलकर अर्थव्यवस्था की विस्तृत समीक्षा की. दोनों के बीच यह समीक्षा बैठक ऐसे समय हुई है, जब सरकार को अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में तेजी से फैल रही नरमी का सामना करना पड़ रहा है. इससे निवेशकों की संपत्ति का क्षरण हो रहा है और बेरोजगारी का संकट बढ़ रहा है.

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सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री ने 73वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले से संबोधन के बाद अर्थव्यवस्था की ताजा स्थिति पर वित्त मंत्री के साथ यह विचार मंथन किया. इसमें वित्त मंत्रालय के सभी वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल थे. सूत्रों ने कहा कि यह बैठक में वर्तमान आर्थिक नरमी की प्रकृति तथा इसके दीर्घकालिक प्रभावों पर विचार किया गया.

इस समय यह उम्मीद लगायी जा रही है कि सरकार जल्दी ही अर्थव्यवस्था के कुछ क्षेत्रों के लिए कुछ खास प्रोत्साहन उपाय घोषित कर सकती है. इस बैठक के बारे में जानकारी के लिए वित्त मंत्रालय के प्रवक्ता को भेजे गये ई-मेल का जवाब नहीं आया.

गौरतलब है कि 2018-19 में आर्थिक वृद्धि घटकर 6.8 फीसदी पर आ गयी थी. यह 2014-15 के बाद की न्यूनतम दर है. इस समय उपभोक्ताओं के विश्वास का स्तर गिर रहा है और विदेशी निवेश भी एक ऊंचाई पर पहुंच कर ठहर गया है. भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष की आर्थिक वृद्धि अनुमान को 7.0 फीसदी से घटाकर 6.9 फीसदी कर दिया है, लेकिन मुद्रास्फीति नरम बनी हुई है.

केंद्रीय बैंक ने नीतिगत ब्याज दर में इस साल 1.10 फीसदी की कटौती कर चुका है, ताकि आर्थिक वृद्धि को तेज करने प्रयासों में मदद मिले. सरकार ने सरकारी बैंकों की कर्ज देने की स्थिति सुधारने के लिए चालू वित्त वर्ष में उन्हें 70,000 करोड़ रुपये का इक्विटी पैकेज देने की घोषणा की है. बैंकों में एनपीए की स्थिति अब नियंत्रण में लगती है, लेकिन गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) का वित्तीय संकट अब भी बना हुआ है, जिससे उपभोक्ता सामान और आवास के लिए कर्ज की सुविधा प्रभावित हुई है.

केंद्रीय बैंक ने एनबीएफसी कंपनियों के लिए धन का प्रवाह बढ़ाने के हाल में कुछ अतिरिक्त उपाय किये हैं. वित्त मंत्री सीतारण ने भी एनबीएफसी के अच्छी साख वाले पूल किये गये ऋणों (संपत्तियों) को खरीदने वाले सरकारी बैंकों को अल्प अवधि में इस तरह के निवेश पर प्रथम 10 फीसदी हानि के लिए गारंटी देने की योजना बजट में पेश की थी. उसके दिशानिर्देश जारी किये जा चुके हैं.

रोजगार और बाजार की दृष्टि से महत्वपूर्ण वाहन, वाहन कलपुर्जा क्षेत्र इस समय दो दशक के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है. आवास, गैर-बैंकिंग वित्तीय क्षेत्र, पूंजीगत सामान क्षेत्र, रोजमर्रा के उपभोक्ता सामान बनाने वाले उद्योग में भी मांग में गिरावट है. अमेरिका और चीन में व्यापार युद्ध से अंतरराष्ट्रीय व्यापार और निवेशकों का मनोबल भी प्रभावित हुआ. बजट में सालाना 2 करोड़ रुपये से ऊपर की कमाई करने वाले धनाढ्यों पर कर अधिभार बढ़ाने से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों का एक वर्ग आहत है.

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