”Weak इन्वेस्टमेंट और कम जीएसटी कलेक्शन भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बड़ी चुनौतियां”
नयी दिल्ली : आर्थिक वृद्धि तथा मुद्रास्फीति के मोर्चों पर सकारात्मक उपलब्धियों के बावजूद भारत के समक्ष कमजोर निवेश, नीतिगत फैसलों का लाभ लक्ष्य तक पहुंचने में सुस्ती तथा वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का कम संग्रह समेत कुछ बड़ी चुनौतियां हैं. वैश्विक वित्तीय सेवा प्रदाता गोल्डमैन सॉक्स ने एक रिपोर्ट में यह बात कही […]
नयी दिल्ली : आर्थिक वृद्धि तथा मुद्रास्फीति के मोर्चों पर सकारात्मक उपलब्धियों के बावजूद भारत के समक्ष कमजोर निवेश, नीतिगत फैसलों का लाभ लक्ष्य तक पहुंचने में सुस्ती तथा वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का कम संग्रह समेत कुछ बड़ी चुनौतियां हैं. वैश्विक वित्तीय सेवा प्रदाता गोल्डमैन सॉक्स ने एक रिपोर्ट में यह बात कही है. भारत की औसत आर्थिक वृद्धि दर 2010 से 2014 के बीच 6.7 फीसदी रही, जो 2015 से 2019 के दौरान बढ़कर 7.3 फीसदी पर पहुंच गयी. इस दौरान औसत मुद्रास्फीति 10 फीसदी की तुलना में कम होकर पांच फीसदी पर आ गयी.
इसे भी देखें : पहली बार जीएसटी संग्रह एक महीने में एक लाख करोड़ रुपए के पार
गोल्डमैन सॉक्स की मुख्य अर्थशास्त्री (भारत) प्राची मिश्रा ने एक पॉडकास्ट में भारतीय अर्थव्यवस्था के कारकों के बारे में चर्चा की. उन्होंने चर्चा के दौरान कहा कि आर्थिक वृद्धि दर मजबूत रहने के बाद भी निवेश का माहौल काफी नरम रहा है. उन्होंने कहा कि मैं कहना चाहूंगी कि कमजोर निवेश, नीतिगत फैसलों का लाभ लक्ष्य तक पहुंचने में सुस्ती तथा जीएसटी का कम संग्रह ऐसे समय में अभी भी भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बड़ी चुनौतियों में से हैं.
मिश्रा ने कहा कि इस दशक में भारत की औसत आर्थिक वृद्धि दर करीब सात फीसदी रही है. इसमें तीन-चौथाई योगदान उपभोग का रहा है तथा निवेश ने इसमें महज एक-चौथाई का योगदान दिया है. उन्होंने कहा कि गोल्डमैन सैक्स के उपभोक्ता इस बात को लेकर चिंतित हैं कि क्या सरकार के पास खासकर भूमि, श्रम, निर्यात संवर्धन और निजीकरण जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण संरचनात्मक सुधार करने की इच्छा है.
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.