बिना समय गंवाये दाखिल करें आयकर रिटर्न, रिटर्न फाइल करते समय बरतें ये सावधानियां
अर्पित जैन, चार्टर्ड अकाउंटेंट आयकर का भुगतान करना और आयकर रिटर्न दाखिल करना दोनों अलग-अलग चीजें हैं. आयकर अधिनियमों के अनुसार 60 साल तक के व्यक्ति जिनकी वार्षिक आय 2.50 लाख रुपये से ज्यादा है उन्हें आयकर भरना जरूरी है. वैसे अन्य विकल्पों के माध्यम से आयकर में छूट का भी प्रावधान किया गया है. […]
अर्पित जैन, चार्टर्ड अकाउंटेंट
आयकर का भुगतान करना और आयकर रिटर्न दाखिल करना दोनों अलग-अलग चीजें हैं. आयकर अधिनियमों के अनुसार 60 साल तक के व्यक्ति जिनकी वार्षिक आय 2.50 लाख रुपये से ज्यादा है उन्हें आयकर भरना जरूरी है.
वैसे अन्य विकल्पों के माध्यम से आयकर में छूट का भी प्रावधान किया गया है. 2.50 लाख रुपये से कम वार्षिक आय वाले लोग भी रिटर्न दाखिल कर सकते हैं क्योंकि रिटर्न कोई भी फाइल कर सकता है, जरूरी नहीं कि उसपर आयकर की देनदारी हो.
पहली बार रिटर्न भरने वाले : सबसे पहले आयकर विभाग की साइट incometaxindiaefiling.gov.in पर खुद को रजिस्टर करें. इस समय आपको पैन, पूरा नाम, जन्मतिथि आदि का विवरण देना होगा. यहां सरनेम भरना जरूरी है. अगर आपका सरनेम नहीं है तो वहां फर्स्ट नेम ही डाल दें. रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया में आपको फोन नंबर, पासवर्ड, पता आदि भरना होगा. मोबाइल का वेरिफिकेशन किया जायेगा. इस पासवर्ड को याद कर लें या कहीं सुरक्षित स्थान पर लिख लें क्योंकि रिटर्न फार्म भरते समय इसकी जरूरत पड़ेगी.
यहां आपको दो खास शब्दों से परिचय करा दूं.
1. फाइनेंशियल इयर : जिस साल आप रिटर्न भर रहे हों उसके पिछले साल की पहली अप्रैल से उस साल की 31 मार्च तक के समय को फाइनेंशियल इयर कहते हैं. जैसे आप इस समय रिटर्न दाखिल कर रहे हैं तो आपके लिए 1 अप्रैल 2018 से 31 मार्च 2019 तक का समय फाइनेंशियल इयर 2018-19 कहलायेगा.
2. असेसमेंट इयर : फाइनेंशियल इयर से आगे वाला साल असेसमेंट इयर कहलाता है. यानी अभी फाइनेंशियल इयर 2018-19 के लिए असेसमेंट इयर 2019-20 होगा.
आयकर विभाग ने पांच लाख रुपये से ज्यादा कर योग्य आमदनी वाले लोगों के लिए आइटीआर की ई-फाइलिंग अनिवार्य कर दी है.
पहला कदम : सही रिटर्न फार्म का चुनाव
आइटीआर-1: इस फार्म को सहज के नाम से भी जाना जाता है. यह वेतन, एक घर से प्राप्त किराया, बचत खाते पर हासिल ब्याज आदि के जरिये हुए कुल 50 लाख रुपये तक के वार्षिक आय करनेवालों के लिए होता है.
आइटीआर-2: यह फॉर्म उन व्यक्तियों और हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ) के लिए होता है, जिनकी वार्षिक आय घर के किराये या पूंजी के जरिये होती है. अगर किसी के पास कुछ विदेशी संपत्ति है या उसे विदेश से कमाई हुई है, तो उसे भी यही फार्म भरना होगा.
आइटीआर-3: यह फार्म व्यवसायियों और प्रोफेशनल के लिए होता है जो अपने प्रोफेशन से पैसे कमा रहे हैं.
हिंदी में भी है विकल्प : रिटर्न फॉर्म को अब आप हिंदी में भी भर सकते हैं. करदाताओं की सहूलियत के लिए आयकर विभाग ने यह सुविधा दी है. रिटर्न भरने से पहले आपको हिंदी का विकल्प चुनना होगा.
इस तरह भरें ऑनलाइन रिटर्न
सबसे पहले incometaxindiaefiling.gov.in पर लॉगनइन करें. अब ऊपर ही दिये गये ई-फाइल विकल्प में जाएं. यहां दिये गये पहले विकल्प इनकम टैक्स रिटर्न पर क्लिक करें. अब असेसमेंट ईयर 2019-20 को चुनें. फिर आइटीआर फॉर्म नंबर के विकल्प में से आइटीआर-1 (या जो भी हो) चुन लें. इसके बाद ‘फाइलिंग टाइप’ में ‘आॅरिजिनल या रिवाइज्ड’ पर क्लिक करें.
अब अगले विकल्प ‘सबमिशन मोड’ में जाकर ‘प्रीपेयर एंड सबमिट ऑनलाइन’ विकल्प को चुनें. यहां आपको वेरिफिकेशन के तीन विकल्प मिलेंगे. अगर आप ई-वेरिफिकेशन चाहते हैं, तो आधार ओटीपी या इवीसी में से किसी एक विकल्प चुनना होगा. तीसरे विकल्प से आपको फॉर्म को सबमिट करने के बाद डाक से सेंट्रलाइज्ड प्रोसेसिंग सेंटर, आयकर विभाग, बेंगलुरु-560500 के पते पर भेजना होता है. हालांकि बेहतर होगा कि आप आधार ओटीपी का प्रयोग करें.
आधार ओटीपी विकल्प पर क्लिक करने के बाद ओटीपी आधार से लिंक हुए आपके मोबाइल नंबर पर आयेगा. साथ ही आइटीआर फाइल होने का कंफर्मेशन संदेश आपके मोबाइल पर भेज दिया जायेगा.
अब आप ‘कंटिन्यू’ पर क्लिक करें. ऐसा करते ही आपके सामने आइटीआर-1 फार्म खुल जायेगा. यहां आपको सात टैब मिलेंगे. हर टैब के आखिरी में ‘सेव ड्राफ्ट’ का विकल्प होगा. हर टैब को भरने के बाद इसे क्लिक करते जायें.
इनमें तीसरा टैब ‘कंप्यूटेशन ऑफ इनकम एंड टैक्स’ है. यह एक महत्वपूर्ण टैब है. इसमें वेतन से होने वाली आय, हाउस प्रॉपर्टी से हुई आय, ब्याज से हुई आय (अगर टीडीएस कटा है तो) का विवरण और टैक्स छूट के जो क्लेम किये गये हैं, इन सबकी जानकारियां पहले से भरी होंगी. इन सब आय के आधार पर कितना टैक्स देना है, इसकी भी जानकारी मिल जायेगी. इसके लिए नियोक्ता से मिले फॉर्म-16 और फॉर्म-26एएस से मिला कर सुनिश्चित करना होगा कि सारी जानकारियां सही हैं. अगर आमदनी या सेविंग का दूसरा स्रोत है, तो उसकी जानकारी देनी होगी.
ऐसे करें सबमिट
सारे टैब में पूरी जानकारी भरने के बाद आप इस पेज के नीचे ही दिये ‘प्रीव्यू एंड सबमिट’ पर क्लिक करें. यहां प्रिंट का विकल्प भी आयेगा. अगर आपने आइटीआर डाक से बेंगलुरु भेजने का विकल्प चुना है, तो आपके लिए फॉर्म भरने की प्रक्रिया पूरी हो गयी. आप प्रिंट लेकर उसे डाक से भेज दें, लेकिन अगर आपने ई-वेरिफिशन का विकल्प चुना है, तो इसके बाद आपके आधार से रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर एक ओटीपी आयेगा. इसे फीड करने के बाद आपको आइटीआर कंप्लीट होने का मेल और मैसेज आ जायेगा. और इस तरह आपका रिटर्न फाइल प्रक्रिया पूरी हो जायेगी.
पेनल्टी का प्रावधान
अगर आप 31 अगस्त तक आइटीआर फाइल नहीं कर पाते हैं, तो पांच लाख से अधिक वार्षिक आय करनेवाले व्यक्ति को 31 दिसंबर के पहले तक आप रिटर्न फाइल कर सकते हैं लेकिन इसके लिए आपको पांच हजार रुपये के जुर्माना देना होगा. वहीं अगर 31 दिसंबर की तारीख भी निकल गयी, तो 31 मार्च 2020 तक रिटर्न भरा जा सकता है, लेकिन ऐसे में आपको पहले आयकर विभाग से नोटिस आपको मिलेगा, तब आप 10 हजार रुपये के जुर्माने के साथ रिटर्न दाखिल करना होगा.
छोटे टैक्सपेयर को पेनल्टी से राहत
पांच लाख रुपये तक की कुल सालाना आमदनी वाले छोटे करदाताओं से पेनल्टी के रूप में मात्र एक हजार रुपये ही वसूले जायेंगे यानी, 31 अगस्त 2019 से 31 मार्च 2020 के बीच जब भी आइटीआर फाइल करेंगे, उन पर लेट फाइन के तौर पर एक हजार रुपये ही लगेंगे.
आइटीआर वेरिफिकेशन
आयकर रिटर्न फाइल करने का अंतिम चरण उसका वेरिफिकेशन है. अगर आयकर रिटर्न फाइल कर दिया और 120 दिन के अंदर इसका वेरिफिकेशन नहीं किया, तो इनकम टैक्स के नियमों के मुताबिक इसे वैध नहीं माना जायेगा. एक बार आयकर विभाग की ई-फाइलिंग वेबसाइट पर आइटीआर अपलोड कर देने के बाद आइटीआर वेरीफाई करने के लिए 120 दिन मिलते हैं.
रिटर्न फाइल करते समय बरतें सावधानियां
सही आइटीआर फार्म का चुनाव करें. गलत फार्म का चुनाव करने सक आपके द्वारा भरा गया रिटर्न डिफेक्टिव करार दिया जायेगा और अमान्य हो जायेगा.
अपनी व्यक्तिगत जानकारियां पूरी और सही दें.
ब्याज से होनेवाली आय का विवरण जरूर दें. सामान्यतया लोग बैंक के एफडी या आरडी या इंफ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड से होने वाली आय का विवरण अन्य स्रोतों से होनेवाली आय में देना भूल जाते हैं. इन पर ध्यान रखें.
अपने बैंक के खाते का विवरण सही-सही भरें. इसमें गलती होने से आपका रिटर्न आपके खाते में नहीं आ पायेगा.
पहले की नौकरी से हुए आय का भी विवरण जरूर दें. वर्ना आयकर विभाग को फार्म16 में अंतर दिखेगा और यह माना जायेगा कि आपने उस आय की जानकारी नहीं दी.
अगर आपके ऊपर आयकर की कोई देनदारी नहीं बनती है, फिर भी आयकर रिटर्न जरूर दाखिल करें. अगर आयकर अधिनियमों में दी गयी छूट का लाभ लेने के बाद आपकी आयकर देनदारी शून्य बनती है, तो भी आप आयकर रिटर्न जरूर दाखिल करें क्योंकि 2.50 लाख रुपये से अधिक की वार्षिक आय करनेवाले व्यक्ति के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करना अनिवार्य हो गया है.
फॉर्म 26एएस पर नजर जरूर रखें : फॉर्म 26एएस में आपकी आय में से काटे गये टीडीएस का संक्षिप्त विवरण होता है. यह आपके नियोक्ता, क्लाइंट्स, बैंक या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा आपकी तरफ से दिया गया टैक्स है, जिन्हें आपको पेमेंट करना होता है. वे कानून के मुताबिक टीडीएस का भुगतान करते हैं. लेकिन, कभी-कभी वे भुगतान करने में गलती कर देते हैं.अगर आपने अपने बच्चों या पत्नी के नाम से निवेश किया है, तो उससे होनेवाली आय का विवरण जरूर दें.
रिवाइज्ड रिटर्नकी सुविधा
आयकर रिटर्न फाइल करने के बाद अगर आपको पता चलता है कि आपने कुछ जानकारियां गलत भर दी हैं या कुछ छूट गया है तो आप घबराएं नहीं. आप एक साल के अंदर रिवाइज्ड रिटर्न फाइल कर सकते हैं यानी वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए रिवाइज्ड रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तारीख 31 मार्च 2020 होगी.
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