14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

रिजर्व बैंक गवर्नर ने माना-धीमी पड़ रही है घरेलू अर्थव्यवस्था की गति, आंतरिक और बाह्य स्तर पर कई चुनौतियां

मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने सोमवार को माना कि इस समय घरेलू अर्थव्यवस्था की गति धीमी पड़ रही है और इसके सामने आंतरिक तथा बाह्य दोनों स्तर पर कई चुनौतियां हैं. इसके साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि लोगों को निराशा के राग में सुर से सुर मिलाने की […]

मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने सोमवार को माना कि इस समय घरेलू अर्थव्यवस्था की गति धीमी पड़ रही है और इसके सामने आंतरिक तथा बाह्य दोनों स्तर पर कई चुनौतियां हैं. इसके साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि लोगों को निराशा के राग में सुर से सुर मिलाने की जगह आगे के अवसरों को देखना चाहिए.

इसे भी देखें : #EconomicSurvey : वित्त वर्ष 2024-25 तक अर्थव्यवस्था को 5,000 अरब डॉलर तक ले जाने पर जोर, जानें क्या है खास…?

शक्तिकांत दास का यह बयान ऐसे समय आया है, जबकि देश के कारोबार जगत के बड़े लोग हाल में बजट में उठाये गये कुछ कदमों को लेकर सरकार से नाखुश हैं. इनमें धनिकों और विदेशी पोर्टफालियो निवेशकों (एफपीआई) पर आयकर अधिभार की दर में बढ़ोतरी भी शामिल है. आयकर अधिभार बढ़ाये जाने के बाद से एफपीआई ने शेयर और बांड बाजार में बिकवाली बढ़ा रखी है. इससे पांच जुलाई के बाद प्रमुख शेयर सूचकांक 13 फीसदी से अधिक गिर चुके हैं.

रिजर्व बैंक के गवर्नर दास ने यहां उद्योग मंडल फिक्की द्वारा आयोजित राष्ट्रीय बैंकिंग सम्मेलन में कहा कि अखबार पढ़कर या बिजनेस टीवी चैनल को देखकर मुझे लगता है कि लोगों के मन में पर्याप्त उत्साह और उमंग नहीं है. लोगों को समझना चाहिए कि अर्थव्यवस्था में चुनौतियां जरूर हैं. कुछ क्षेत्र विशेष से जुड़े मसले हैं और अनेक वैश्विक और बाहरी चुनौतियां हैं.

उन्होंने कहा कि आज कुछ लोगों का मूड अस्तित्व की चिंता से भरा है, तो कुछ सकारात्मक मूड में हैं. उनका मानना है कि सोच की बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका होती है. आगे के अवसरों की ओर देखिए. हम मानते हैं कि इस समय चुनौतियां और कठिनाइयां हैं. ये बाहर से भी है और अंदर से भी, लेकिन व्यक्ति को अवसरों को देखना चाहिए और उसका फायदा उठाना चाहिए.

आरबीआई प्रमुख ने कहा कि वह लोगों से यह नहीं कह रहे हैं कि वे हर हालत में चेहरे पर प्रसन्नता का भाव रखें और हर कठिनाई को हंसकर भुला दें, लेकिन वास्तविक अर्थव्यवस्था में मूड की बड़ी भूमिका होती है. चुनौतियों के बाजूद अर्थव्यवस्था में बहुत से अवसर मौजूद हैं. दास ने कहा कि वित्तीय क्षेत्र, व्यावसायिक समुदाय, नीति नियंताओं और हम विनियामकों को मिल कर चुनौतियों का सामना करना चाहिए और भविष्य को अधिक आत्मविश्वास से देखना चाहिए. आरबीआई ने अपनी पिछली नीतिगत समीक्षा बैठक के समय चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि के अपने अनुमान को सात फीसदी से घटाकर 6.9 फीसदी कर दिया है.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें