नयी दिल्ली : देश में मंदी की चर्चा है. भारतीय अर्थव्यवस्था के साल 2018 में सुस्त रहने की वजह से भारत को बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ा है. भारत के सिर से दुनिया की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था का ताज छिन गया है. अर्थव्यस्था की दृष्टि से भारत सातवें पायदान पर पहुंच गया है.
इन सबके बीच भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मंदी को लेकर एक नया शब्द दिया है- ‘Panglossian’. इसका मतलब बहुत कम लोगों को मालूम होगा, लिहाजा लोग इसके लिए गूगल बाबा की शरण में जा रहे हैं.
दरअसल, फिक्की के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था- निराशा और सब कुछ खत्म हो गया है, जैसी सोच से किसी को भी मदद नहीं मिलने वाली. मैं यह नहीं कहता हूं कि हमें Panglossian दृष्टिकोण रखना चाहिए और हर चीज पर हंसना चाहिए, लेकिन बहुत निराशा से भी किसी को मदद नहीं मिलेगी.
शक्तिकांत दास की ओर से सुझाये गए इस शब्द का मतलब जानने के लिए अगर आपके अंदर भी जिज्ञासा की लहरें हिलोरें मार रही हैं, तो हम आपकी मदद कर देते हैं. Panglossian का मतलब होता है- ‘हर चीज बेहतर के लिए ही होती है’, ऐसी उम्मीद पाल लेना. इसे बहुत ज्यादा आशावादी होना भी कह सकते हैं. यह शब्द असल में एक हास्य उपन्यास रचना ‘वोल्टेयर’ के किरदार डॉ पैनगलॉस से प्रेरित है. इस उपन्यास का किरदार डॉ पैनगलॉस बहुत आशावादी शख्स रहता है. इस हद तक कि बड़ी मुश्किलों और क्रूरता का सामना करने के बाद भी वह आशावादी रहता है.
बहरहाल, रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास ने मंदी की चर्चाओं को लेकर कहा कि हमें सिर्फ मुश्किलों की ओर ही नहीं देखना चाहिए बल्कि सामने मौजूद अवसरों पर भी ध्यान देना चाहिए. इकोनॉमी के लिए आपका रुख और रवैया भी बेहद मायने रखता है.
मालूम हो कि देश के विभिन्न क्षेत्रों में मंदी व्याप्त है और विकास दर घट गई है, जिसमें जीएसटी दरें, प्राकृतिक आपदाएं, मजदूरी दर स्थिर रहना और कम नौकरियों के सृजन जैसे अनेक कारकों का योगदान है. अर्थव्यवस्था में सुस्ती के संकेत को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक ने इस वित्त वर्ष यानी 2019-20 के लिए देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में बढ़त के अनुमान को घटाकर 6.9 फीसदी कर दिया है. इसके पहले रिजर्व बैंक ने 2019-20 में अर्थव्यवस्था में 7 फीसदी की बढ़त होने का अनुमान जारी किया था.
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