रांची. अखिल भारतीय पीठ परिषद, झारखंड के प्रदेशाध्यक्ष वैद्य चंद्रभूषण पाठक ने करपात्री जी महाराज के जन्म दिवस की पूर्व संध्या पर प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि करपात्री जी महाराज भक्ति, ज्ञान एवं वैराग्य के प्रतिमूर्ति थे. शंकराचार्य के पद को उन्होंने ठुकरा दिया था. इसके लिए अन्य विद्वानों को मौका दिया. देश की अखंडता एवं एकता के लिए जीवन भर प्रयासरत रहे. गोवंश की रक्षा के लिए भी प्रयास किया. धर्म की रक्षा के लिए कई बार जेल भी गये.
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