नयी दिल्ली : केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने कहा है कि निवेशकों के कुछ वर्गों की एक सीमा से अधिक आय पर बढ़ा हुआ टैक्स सरचार्ज वापस लेने से विदेशी फोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) और घरेलू निवेशकों के बीच कोई नया फर्क पैदा नहीं किया गया है. सीबीडीटी ने बुधवार को जारी बयान में कहा कि टैक्स के मामले में व्यवस्था का फर्क इस बार के बजट से पहले से था. वित्त (नं. 2) अधिनियम-2019 या वित्त मंत्रालय द्वारा पिछले सप्ताह टैक्स सरचार्ज वापस लिये जाने की घोषणा से यह अंतर पैदा नहीं हुआ है.
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले शुक्रवार को विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों और घरेलू निवेशकों की एक सीमा से अधिक की कमाई पर इनकम टैक्स सरचार्ज की बढ़ी दरों को वापस ले लिया था. सीबीडीटी ने कहा है कि मीडिया के एक वर्ग की रिपोर्टों से फैली यह धारणा गलत है कि शुक्रवार के फैसले से घरेलू और विदेशी निवेशकों के लिए विभेदकारी व्यवस्था बन गयी है.
बयान में कहा गया है कि 2019 के बजट से पहले भी श्रेणी-तीन के वैकल्पिक निवेश कोषों (एआईएफ-तृतीय श्रेणी) सहित घरेलू निवेशकों और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) को छोड़ दूसरे विदेशी निवेशकों की डेरिवेटिव कारोबार से अर्जित आमदनी को पूंजीगत आय की बजाय कारोबार से हुई आय माना जाता था और उस पर आयकर की सामान्य दरें ही लागू होती थीं. सीबीडीटी ने कहा है कि इस तरह वित्त मंत्री की घोषणा से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों और घरेलू निवेशकों के लिए कोई अलग-अलग व्यवस्था नहीं खड़ी की गयी है.
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