मुंबई : घरेलू स्तर पर अर्थव्यवस्था में सुस्ती आने की वजह से पूरे देश की राजनीति गरम होने के बीच गुरुवार को रिजर्व बैंक ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा कि घरेलू मांग घटने से आर्थिक गतिविधियां सुस्त पड़ी हैं. उसने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अर्थव्यवस्था में नरमी के बीच देश में निजी निवेश बढ़ाने की जरूरत है. केंद्रीय बैंक ने वार्षिक रिपोर्ट-2019 में कहा कि देश के बाजारों में प्रचलन में मौजूद मुद्रा करीब 17 फीसदी बढ़कर 21.10 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गयी है.
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रिपोर्ट में संकट में फंसे गैर-वित्तीय संस्थानों को लेकर कहा गया है कि आईएलएंडएफएस संकट सामने आने के बाद एनबीएफसी से वाणिज्यिक क्षेत्र के ऋण प्रवाह में करीब 20 फीसदी की कमी दर्ज की गयी है. इसके साथ ही, वित्त वर्ष 2018-19 में बैंकों में 71,542.93 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के 6,801 मामले भी उजागर किये गये हैं.
इसके साथ ही अपनी वार्षिक रिपोर्ट के जरिये केंद्रीय बैंक ने सरकार को दी जाने वाली राशि के बारे में भी खुलासा किया है. उसने कहा कि सरकार को अधिशेष कोष से 52,637 करोड़ रुपये देने के बाद रिजर्व बैंक के आकस्मिक कोष में 1,96,344 करोड़ रुपये की राशि बची है. रिपोर्ट के अनुसार, कृषि ऋण माफी, सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के क्रियान्वयन और आय समर्थन योजनाओं की वजह से राज्यों की वित्तीय प्रोत्साहनों को लेकर क्षमता घटी है.
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