मुंबई : देश में डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद अर्थव्यवस्था में चलन में आयी मुद्रा मार्च, 2019 में 17 फीसदी की वृद्धि के साथ 21.10 लाख करोड़ रुपये हो गयी. रिजर्व बैंक की वित्त वर्ष 2018-19 की वार्षिक रिपोर्ट में यह कहा गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि 500 रुपये का नोट सबसे अधिक मांग में है और वर्तमान मुद्रा व्यवस्था में प्रचलित नोटों में 500 रुपये के नोट की हिस्सेदारी 51 फीसदी है.
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केंद्रीय बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2018-19 में मूल्य और संख्या के हिसाब से प्रचलित नोट में क्रमशः 17 फीसदी और 6.2 फीसदी की वृद्धि हुई और यह 21.10 लाख करोड़ रुपये और 10875.9 करोड़ इकाई रही. उल्लेखनीय है कि आठ नवंबर, 2016 को किये गये नोटबंदी का बड़ा उद्देश्य डिजिटल भुगतानों को बढ़ावा देना और नकदी के इस्तेमाल में कमी लाना था. हालांकि, वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि खुदरा इलेक्ट्रॉनिक भुगतान लेनदेन 59 फीसदी की वृद्धि के साथ 23.3 अरब रहा.
आरबीआई ने कहा है कि नकली नोटों का पता लगाये जाने में वित्त वर्ष 2018-19 में काफी गिरावट देखने को मिली. आलोच्य वर्ष में 3.17 लाख नकली नोट पकड़े गये. यह आंकड़ा वित्त वर्ष 2017-18 में 5.22 लाख नोट और उससे पहले के वित्त वर्ष में 7.62 लाख नोट था. केंद्रीय बैंक के मुताबिक, नोटों के मुद्रण पर लागत में वित्त वर्ष 2018-19 में मामूली कमी देखने को मिली और यह 4,811 करोड़ रुपये पर रह गया. वित्त वर्ष 2017-18 में यह आंकड़ा 4,912 करोड़ रुपये रहा था.
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