”बैंकों के फंसे कर्ज का समाधान होने से बीते साल बैंकों का एनपीए घटकर 9.1 फीसदी रहा”

मुंबई : बैंकों के फंसे कर्ज के बारे में जल्द पता चलने और उसका जल्द समाधान होने से वित्त वर्ष 2018- 19 में बैंकों की सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां उनके कुल कर्ज का 9.1 फीसदी पर नियंत्रित करने में मदद मिली है, जो साल भर पहले 11.2 प्रतिशत के स्तर पर थी. रिजर्व बैंक ने सालाना […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 29, 2019 10:25 PM

मुंबई : बैंकों के फंसे कर्ज के बारे में जल्द पता चलने और उसका जल्द समाधान होने से वित्त वर्ष 2018- 19 में बैंकों की सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां उनके कुल कर्ज का 9.1 फीसदी पर नियंत्रित करने में मदद मिली है, जो साल भर पहले 11.2 प्रतिशत के स्तर पर थी. रिजर्व बैंक ने सालाना रिपोर्ट में यह जानकारी दी है. गैर-निष्पादित ऋण में ताजा वृद्धि का स्तर भी कम होने से इस तरह के कर्ज के लिए बैंकिंग तंत्र में होने वाला प्रावधान का अनुपात समीक्षाधीन अवधि के दौरान 60.9 प्रतिशत तक बढ़ गया.

इसे भी देखें : रिजर्व बैंक की वार्षिक रिपोर्ट : वित्त वर्ष 2018-19 में 71,543 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी

रिजर्व बैंक की गुरुवार को जारी 2018- 19 की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि समस्या का जल्द पता चलने, उसको दुरुस्त करने और उसका समाधान करने के परिणामस्वरूप वित्त वर्ष 2018- 19 में सकल एनपीए अनुपात घटकर 9.1 फीसदी रह गया है, जो वित्तवर्ष 2017- 18 में 11.2 फीसदी था. रिपोर्ट में कहा गया है कि शुरुआती कठिनाइयों के बाद दिवाला और ऋण शोधन अक्षमता संहिता पूरा माहौल बदलने वाला कदम साबित हो रही है.

इसमें कहा गया है कि पुराने फंसे कर्ज की प्राप्तियों में सुधार आ रहा है और इसके परिणामस्वरूप, संभावित निवेश चक्र में जो स्थिरता बनी हुई थी उसमें सुगमता आने लगी है. इसमें कहा गया है कि पूंजी बफर को 2.7 लाख करोड़ रुपये की नयी पूंजी डालकर मजबूत किया गया है. इसमें 2019- 20 के बजट का आवंटन भी शामिल है. इसके साथ ही दबाव हल्का होने से बैंक ऋण प्रवाह बढ़ने की उम्मीद भी बढ़ गयी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि जून 2019 में एनपीए पहचान और समाधान के नियमों से समस्या के जल्द समाधान की उम्मीद बढ़ी है. इसमें ऋणदाताओं को अधिक तवज्जो दी गयी है.

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