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सरकार ने अर्थव्यवस्था पर मनमोहन सिंह के बयान को किया खारिज

नयी दिल्ली : देश की आर्थिक हालत बेहद चिंताजनक होने के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए सरकार ने मंगलवार को कहा कि मोदी सरकार अर्थव्यवस्था को समग्र दृष्टिकोण के साथ देखती है और ऐसे ही प्रयासों के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया में 11वें स्थान से उठकर 5वीं सबसे […]

नयी दिल्ली : देश की आर्थिक हालत बेहद चिंताजनक होने के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए सरकार ने मंगलवार को कहा कि मोदी सरकार अर्थव्यवस्था को समग्र दृष्टिकोण के साथ देखती है और ऐसे ही प्रयासों के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया में 11वें स्थान से उठकर 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गयी है. केंद्रीय मंत्रिमंडल के बैठक के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने संवाददाताओं के सवालों का जवाब देते यह बात कही. उनसे पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के उस बयान के बारे में पूछा गया था, जिसमें उन्होंने आर्थिक हालात को बेहद चिंताजनक बताया था.

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जावड़ेकर ने कहा कि मनमोहन सिंह ने जो विश्लेषण किया, उससे हम इत्तेफाक नहीं रखते हैं. हम जो कहते हैं, वह करते हैं. हमने अर्थव्यवस्था को 11वें स्थान से 5वें स्थान पर पहुंचाया है और हम तीसरे स्थान की दिशा में बढ़ रहे हैं. सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने कहा कि सरकार अर्थव्यवस्था को टुकड़ों-टुकड़ों में नहीं देखती, बल्कि उसका अर्थव्यवस्था के बारे में समग्र नजरिया है. हम एक जवाबदेह सरकार के रूप में मुद्दों का समाधान निकालते हैं.

उन्होंने इस संदर्भ में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का उदाहरण देते हुए कहा कि जीएसी में आपने देखा कि जीएसटी परिषद की हर महीने बैठक हुई, जो मुद्दे आये, उस पर फैसले लिये गये. ऐसे ही एक लोकोन्मुखी सरकार काम करती है. जावड़ेकर ने कहा कि हमारी अर्थव्यवस्था उत्कृष्ट प्रदर्शन करेगी, जैसा कि उम्मीद और पूर्वानुमान व्यक्त किया जा रहा है.

गौरतलब है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर घटकर पांच फीसदी पर आने के बीच पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि आर्थिक हालात ‘बेहद चिंताजनक’ हैं और यह नरमी मोदी सरकार के तमाम कुप्रबंधनों का परिणाम है. पूर्व प्रधानमंत्री ने एक बयान में कहा था कि पहली तिमाही में 5 फीसदी की जीडीपी वृद्धि दर दर्शाती है कि हम आर्थिक नरमी के एक लंबे दौर में फंये गये हैं.

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