नयी दिल्ली : लॉटरी उद्योग ने सरकार से माल एवं सेवाकर (जीएसटी) की दर को एक समान 12 फीसदी पर रखने और पुरस्कार राशि पर टैक्स हटाये जाने की मांग की है. दोहरी टैक्स की दर से इस उद्योग की वृद्धि में बाधा खड़ी हो रही है. मौजूदा समय में राज्य के भीतर लॉटरी बेचने पर 12 फीसदी और राज्य से बाहर बेची जाने वाली लॉटरी पर 28 फीसदी की दर से जीएसटी लगता है.
इसे भी देखें : रांची : लॉटरी में इनाम देने के नाम पर 50 लाख से अधिक ठग चुके हैं आरोपी
विभिन्न राज्यों के बीच अंतर को दूर करने के लिए इससे पहले जीएसटी परिषद ने महाराष्ट्र के वित्त मंत्री सुधीर मुगंतिवार की अध्यक्षता में एक आठ सदस्यीय मंत्री समूह गठित किया था. परिषद ने भी जुलाई में इस मसले पर अटार्नी जनरल से कानूनी सलाह मांगी थी.
अखिल भारतीय लॉटरी व्यापार एवं संबद्ध उद्योग महासंघ ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को एक पत्र लिखकर कहा है कि जीएसटी परिषद को लॉटरी टिकट पर लिखी पुरस्कार राशि को हटाकर जीएसटी लगाने पर विचार करना चाहिए, क्योंकि यह राशि कंपनी लॉटरी जीतने वाले प्रत्याशी को दे देती है. इसलिए लॉटरी व्यापार में वह कभी भी उसकी आय का हिस्सा नहीं होती.
महासंघ के उपाध्यक्ष कमलेश विजय ने कहा कि इसके अलावा लॉटरी टिकट की पुरस्कार राशि का समायोजन करने के बाद लॉटरी पर विभेदकारी कर की दर को समाप्त किया जाना चाहिए और इस पर 12 फीसदी की एक समान दर से जीएसटी लगाया जाना चाहिए. वर्तमान में राज्यों द्वारा चलायी जाने वाली सभी लॉटरियों का नियमन लॉटरी विनियमन अधिनियम-1998 के प्रावधानों के अनुरूप होता है.
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.