कृषि मंत्री को खरीफ फसल का बंपर उत्पादन होने की उम्मीद, 30 अगस्त तक 354.84 लाख हेक्टेयर में रोपा गया धान
नयी दिल्ली : कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने गुरुवार को कहा कि खरीफ फसलों की स्थिति बेहतर है और इसे देखते हुए लगता है कि देश में बंपर खाद्यान्न उत्पादन होगा. अंतर्राष्ट्रीय जस्ता संघ (आईजेडए) और भारतीय उर्वरक संघ (एफएआई) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित वैश्विक सूक्ष्म पोषण सम्मेलन के मौके पर मंत्री ने […]
नयी दिल्ली : कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने गुरुवार को कहा कि खरीफ फसलों की स्थिति बेहतर है और इसे देखते हुए लगता है कि देश में बंपर खाद्यान्न उत्पादन होगा. अंतर्राष्ट्रीय जस्ता संघ (आईजेडए) और भारतीय उर्वरक संघ (एफएआई) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित वैश्विक सूक्ष्म पोषण सम्मेलन के मौके पर मंत्री ने कहा कि स्थिति अच्छी है और उत्पादन भी अच्छा होगा. अगस्त में मॉनसून की अच्छी बरसात होने के बाद खरीफ फसलों के बुआई के रकबे में काफी सुधार हुआ है.
इसे भी देखें : खरीफ फसल के उत्पादन का तय किया गया लक्ष्य
धान खेती के रकबे की यदि बात की जाए, तो 30 अगस्त तक यह कम यानी 354.84 लाख हेक्टेयर था, जो पिछले साल की इसी अवधि में 372.42 लाख हेक्टेयर था. दलहन का रकबा भी कम यानी 127.99 लाख हेक्टेयर रहा, जो पिछले साल की समान अवधि में 131.54 लाख हेक्टेयर पर था. मोटे अनाज की खेती का रकबा 171.74 लाख हेक्टेयर पर अपरिवर्तित है. तिलहन बुवाई का रकबा मामूली कम यानी पहले के 171.15 लाख हेक्टेयर की तुलना में 170.78 लाख हेक्टेयर है. कपास खेती का रकबा अधिक यानी 124.9 लाख हेक्टेयर है, जो पहले 117.66 लाख हेक्टेयर था.
इससे पहले, कार्यक्रम को संबोधित करते हुए तोमर ने किसानों को उर्वरकों के संतुलन का उपयोग सुनिश्चित करने के लिए बुआई अभियान से पहले अपने खेत की मिट्टी की गुणवत्ता स्थिति को जांचने को कहा. तोमर ने रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग के बारे में चिंता जतायी. उन्होंने कहा कि हमने 12 करोड़ किसानों को प्राथमिकता के आधार पर और मिशन मोड में मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किये हैं, लेकिन किसानों को बुआई से पहले मृदा स्वास्थ्य जांच के लिए जाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि किसानों को शिक्षित करने के लिए जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है. देश के खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर होने की बात रखते हुए तोमर ने कहा कि आगे उत्पादकता और उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ आधुनिक तकनीक का उपयोग सुनिश्चित करने, अनुसंधान पर ध्यान देने, उर्वरकों का सही उपयोग करने और किसानों को अधिक आय सुनिश्चित करना चुनौती है. इन मुद्दों को संबोधित करने के लिए मंत्री ने कहा कि सरकार ने कई कदम उठाये हैं, जिसमें उत्पादन लागत का कम से कम 1.5 गुना एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) तय करना, लगभग 90,000 करोड़ रुपये के पीएम-किसान कार्यक्रम का शुभारंभ किया जाना, जिसके तहत प्रति वर्ष 6,000 रु तीन समान किस्तों में किसानों को दिये जायेंगे.
इसके अलावा, किसानों के लिए एक पेंशन योजना भी शुरू की गयी है. एफएआई के महानिदेशक सतीश चंदर ने मांग की कि कृषि उद्देश्यों के लिए उपयोग किए जाने वाले सूक्ष्म पोषक तत्वों पर जीएसटी को 12 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी किया जाना चाहिए. पीडब्ल्यूसी इंडिया के लीडर-फूड एंड एग्रीकल्चर अजय काकरा ने कहा कि उर्वरकों के असंतुलित उपयोग से भारत की मिट्टी में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी आ रही है. ये कमियां मानव और पशुधन स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर रही हैं. मिट्टी के परीक्षण और उसके बाद उपयुक्त उत्पादों को इस्तेमाल में लाकर मिट्टी में सुधार लाने से मृदा स्वास्थ्य और खेती से होने वाली आय बढ़ेगी.
इंटरनेशनल जिंक एसोसिएशन अमेरिका के कार्यकारी निदेशक एंड्रयू ग्रीन ने कहा कि दुनिया भर में मिट्टी और फसलों में सबसे व्यापक सूक्ष्म पोषक तत्व जस्ता की कमी सबसे ज्यादा है. नतीजतन, उपज को नुकसान हो रहा है और पोषण गुणवत्ता में भारी कमी आयी है.
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.