नयी दिल्ली : सरकार ने चीन से आयातित सैकरीन पर पांच साल के लिए प्रतिपूर्ति शुल्क लगा दिया है. सैकरीन भी एक प्रकार की चीनी होती है. घरेलू उत्पादकों को सस्ते आयात से संरक्षण देने के लिए यह कदम उठाया गया है. वाणिज्य मंत्रालय की जांच इकाई व्यापार उपचार महानिदेशालय (डीजीटीआर) की सिफारिश पर राजस्व विभाग ने यह शुल्क लगाया है. डीजीटीआर ने अपनी जांच में यह निष्कर्ष निकाला कि भारत को सैकरीन का निर्यात सब्सिडी वाली कीमत पर किया जा रहा है. इससे घरेलू उद्योग को नुकसान पहुंच रहा है.
इसे भी देखें : चीन को चीनी निर्यात करने के लिए जोरदार प्रयास कर रहा भारत
एक आधिकारिक अधिसूचना में कहा गया है कि इन निष्कर्षों पर विचार के बाद यह शुल्क लगाने का फैसला किया गया है. इस उत्पाद पर 20 फीसदी का शुल्क लगाया जायेगा. इसे लागत, बीमा और ढुलाई (सीआईएफ) के आधार पर लगाया जायेगा. सीआईएफ मूल्य किसी उत्पाद का निर्यात किये जाते समय वास्तविक मूल्य होता है. डीजीटीआर जरूरी शुल्क लगाने की सिफारिश करता है, जबकि वित्त मंत्रालय इस पर अंतिम निर्णय लेता है.
वित्त वर्ष 2018-19 में देश में सैकरीन का आयात 76 लाख डॉलर (लगभग 54 करोड़ रुपये) का रहा था. चालू वित्त वर्ष की अप्रैल से जुलाई की अवधि में यह 39.4 लाख डॉलर या 28 करोड़ रुपये का रहा है. हालांकि, चीन से इस उत्पाद का आयात 2018-19 में मामूली घटकर 40 लाख डॉलर (28 करोड़ रुपये) रह गया. इससे पिछले वित्त वर्ष में यह 41.7 लाख डॉलर (29 करोड़ रुपये) था.
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.