नयी दिल्ली : पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने वैश्विक निवेकों को भारत में ऊर्जा क्षेत्र की विविध परियोजनाओं में निवेश की अपील करते हुए मंगलवार को कहा कि देश में की ऊर्जा मांग 2035 तक सालाना 4.2 फीसदी की दर से बढ़ने की संभावना है. अबू धाबी में आठवें एशियाई मंत्री स्तरीय ऊर्जा गोलमेज बैठक में उन्होंने कहा कि भारत आज यह दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तीव्र वृद्धि दर वाली अर्थव्यवस्था है और यह ऊर्जा की खपत के मामले में तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है. प्राथमिक ऊर्जा की कुल वैश्विक मांग में भारत का हिस्सा 2040 तक दोगुना होकर 11 फीसदी पहुंच जायेगा.
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प्रधान ने कहा कि ऊर्जा मांग में 2035 तक सालाना 4.2 फीसदी वृद्धि होने का अनुमान है. यह दुनिया की सभी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले ऊर्जा की मांग में तीव्र वृद्धि को बताता है. उन्होंने यह भी कहा कि देश में प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत वैश्विक औसत से कम है. मंत्री ने कहा कि ऊर्जा मांग में अनुमानित विस्तार इस क्षेत्र में निवेश को रेखांकित करता है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल की शुरूआत में ‘ऊर्जा न्याय’ को देश की शीर्ष प्राथमिकता घोषित की है.
प्रधान ने कहा कि इसमें पूरी आबादी को सुरक्षित, सस्ता और टिकाऊ ऊर्जा सेवाएं सुलभ कराने के लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्धता शामिल है. मंत्री ने कहा कि भारत ऊर्जा बुनियादी ढांचा में तेजी से विस्तार कर रहा है. चाहे वह बिजली उत्पादन हो या फिर नवीकरणीय ऊर्जा या पाइपलाइन, सिटी गैस नेटवर्क और एलएनजी टर्मिनल समेत गैस आधारित ढांचागत सुविधाएं शामिल हैं.
उन्होंने कहा कि हमने तीन साल पहले उज्ज्वला योजना के तहत स्वच्छ रसोई गैस पुंहचाने का बड़ा अभियान शुरू किया. कुछ ही दिन पहले 8 करोड़ कनेक्शन का लक्ष्य हासिल किया है. मंत्री ने यह भी कहा कि भारत अप्रैल 2020 से भारत चरण-4 से सीधे भारत चरण-6 की ओर बढ़ रहा है. यह यूरो-6 मानकों के अनुरूप है. साथ ही, हम 2022 तक 1.75 लाख मेगावाट नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन लक्ष्य हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं.
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