नयी दिल्ली : सरकार ने रोजगार और मांग की दृष्टि से महत्वपूर्ण आवास निर्माण क्षेत्र को प्रोत्साहन देने के लिए निर्माणाधीन आवासीय परियोजनाओं को उनके आखिरी चरण का काम पूरा करने के लिए कर्ज उपलब्ध कराने की खातिर 10 हजार करोड़ रुपये की विशेष सुविधा देने की शनिवार को घोषणा की. यह सहायता ऐसी परियोजनाओं को ही मिलेगी, जो दिवाला संहिता के तहत एनसीएलटी में जाने या गैर-निष्पादित संपत्ति (एनपीए) घोषित होने से बची हुई हैं.
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने यहां अर्थव्यवस्था को नरमी से उबारने के लिए एक औरा पैकेज की घोषणा करते हुए कहा कि निर्माणाधीन परियोजनाओं के वित्त-पोषण के लिए सरकार करीब 10 हजार करोड़ रुपये की सहायता देगी. उन्होंने कहा कि इस काम में बाहरी निवेशकों से भी करीब इतनी ही राशि उपलब्ध होने का अनुमान है. उन्होंने कहा कि इससे किफायती तथा मध्य आय वर्ग के लिए बनायी जा रही आवासीय परियोजनाओं को पूरा करने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि इस कोष का प्रबंधन पेशेवर लोग करेंगे.
भवन निर्माण के कर्ज की ब्याज दर होगी कम
वित्तमंत्री ने कहा कि भवन निर्माण के लिए कर्ज पर ब्याज दर को कम किया जायेगा तथा इन पर ब्याज की दर को 10 साल की सरकारी प्रतिभूतियों के यील्ड (निवेश-प्रतिफल) से जोड़ा जायेगा. उन्होंने कहा कि सरकारी नौकरी वाले लोग आवास की मांग में अहम योगदान देते हैं. इस व्यवस्था के तहत सरकारी नौकरी वाले अधिक लोगों को नया घर खरीदने का प्रोत्साहन मिलेगा. उन्होंने कहा कि डेवलपरों को विदेश से पूंजी जुटाने में मदद करने के लिए विदेश से लिये जाने वाले वाणिज्यिक ऋण से संबंधित गाइडलाइन आसान बनाये जायेंगे.
मुद्रास्फीति नियंत्रित और औद्योगिक उत्पादन में सुधार के स्पष्ट संकेत
इसके साथ ही, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को कहा कि मुद्रास्फीति नियंत्रण में है और औद्योगिक उत्पादन में सुधार के स्पष्ट संकेत दिख रहे हैं. उन्होंने अर्थव्यवस्था के लिए राहत की तीसरी किस्त की घोषणा करते हुए एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मुद्रास्फीति चार फीसदी के लक्ष्य से अच्छी-खासी नीचे है. सरकार ने रिजर्व बैंक को खुदरा मुद्रास्फीति चार फीसदी से नीचे रखने का लक्ष्य दिया है. हालांकि खुदरा मुद्रास्फीति अगस्त में कुछ तेज होकर 3.21 फीसदी पर पहुंच गयी, लेकिन यह अब निर्धारित दायरे में है.
कर्ज प्रवाह में सुधारात्मक कदम का दिखने लगा है परिणाम
सीतारमण ने कहा कि 2018-19 की चौथी तिमाही में औद्योगिक उत्पादन से संबंधित सारी चिंताओं के बाद भी जुलाई, 2019 तक हमें सुधार के स्पष्ट संकेत दिखाई देते हैं. उन्होंने कहा कि आंशिक ऋण गारंटी योजना समेत गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) में ऋण का प्रवाह सुधारने के कदमों की घोषणा के परिणाम दिखाई देने लगे हैं. उन्होंने कहा कि कई एनबीएफसी को फायदा हुआ है. उन्होंने कहा कि गोवा में जीएसटी परिषद की बैठक से एक दिन पहले वह अर्थव्यवस्था में ऋण प्रवाह की समीक्षा करने के लिए 19 सितंबर को सार्वजनिक बैंकों के प्रमुखों से मुलाकात करेंगी.
सरकार ने निर्यातकों के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को ऋण आवंटन की संशोधित योजना घोषित की
इतना ही नहीं, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को निर्यातकों के लिए ऋण प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के लिए ऋण आवंटन के संशोधित नियमों (पीएसएल) की घोषणा की. इससे निर्यातकों को 36,000 करोड़ रुपये से लेकर 68,000 करोड़ रुपये तक का अतिरिक्त वित्त पोषण मिलेगा. सीतारमण ने कहा कि निर्यातकों को ऋण के लिए पीएसएल नियमों की समीक्षा की जायेगी. दिशानिर्देशों पर भारतीय रिजर्व बैंक के साथ विचार-विमर्श चल रहा है.
सीतारमण ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘इससे प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के तहत निर्यात ऋण के लिए 36,000 करोड़ रुपये 68,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त पूंजी उपलब्ध होगी. उन्होंने कहा कि वाणिज्य विभाग के तहत एक अंतर-मंत्रालयी समूह निर्यात क्षेत्र को वित्त पोषण की सक्रिय निगरानी करेगा. इसके अलावा, निर्यात ऋण गारंटी निगम (ईसीजीसी) निर्यात ऋण बीमा योजना का दायरा बढ़ायेगा.
सीतारमण ने कहा कि इस पहल की सालाना लागत 1,700 करोड़ रुपये आयेगी. साथ ही, यह ब्याज दर समेत निर्यात ऋण की पूरी लागत को विशेषकर लघु एवं मझोले कारोबारों के लिए कम करने में मदद करेगी. उन्होंने यह भी घोषणा की कि मुक्त व्यापार समझौता उपयोग मिशन की भी स्थापना की जायेगी.
इसका मकसद निर्यातकों को उन देशों से शुल्क छूट दिलाने में मदद करना है, जिनके साथ भारत ने संधि की है. इसके अलावा, देश में चार स्थानों पर हस्तशिल्प, योग, पर्यटन, कपड़ा और चमड़ा क्षेत्रों के लिए वार्षिक शॉपिंग फेस्टिवल आयोजित किये जायेंगे.
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