रांची : झारखंड (Jharkhand) का साहिबगंज (Sahibganj) फिर अंतरराष्ट्रीय बाजार से जुड़ रहा है. उसका खोया गौरव लौटने वाला है. गंगा (Ganga) के तट पर बना मल्टी मॉडल टर्मिनल साहिबगंज (Multi Modal Terminal Sahibganj) को पश्चिम बंगाल (West Bengal), उत्तर (North India) और पूर्वोत्तर भारत (North East India) से तो जोड़ेगा ही, नेपाल (Nepal) और बांग्लादेश (Bangladesh) से भी जोड़ेगा. देश-विदेश से यहां जहाज आयेंगे.
प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से यह बंदरगाह (Port) डेढ़ लाख लोगों को रोजगार देगा. ऐसा नहीं है कि देश-विदेश के जहाज पहली बार यहां आयेंगे. प्राचीन और मध्य काल में पूरे एशियाई (Asia) और यूरोपीय (Europe) बाजार से साहिबगंज (Sahibganj) का कारोबार होता था. प्राचीन राजमहल (Rajmahal), मध्यकालीन राजमहल और तेलियागढ़ी (Teliagarhi) में उस समय बने बंदरगाह काफी बड़े थे. चीनी यात्री ह्वेनसांग (Hiuen Tsang) की पुस्तक ‘लाइफ ऑफ ह्वेनसांग’ में इसका जिक्र मिलता है.
राजमहल से पाकिस्तान (Pakistan) में भट्टा (Bhatta) तक लोग जाते थे. जिस मार्ग से वहां जाते थे, उसे कॉपर रोड (Copper Road) कहा जाता था. यह मार्ग तेलियागढ़ी होकर भागलपुर, मुंगेर, पटना, बनारस, इलाहाबाद से होते हुए दिल्ली तक जाता था. राजमहल 17वीं शताब्दी में बिहार, बंगाल और ओड़िशा की राजधानी हुआ करती थी. तब बंदरगाह के माध्यम से साहिबगंज का कारोबार बांग्लादेश, भूटान और म्यांमार जैसे देशों से भी होता था. धीरे-धीरे यह क्षेत्र पिछड़ता चला गया.
साहिबगंज का यह मल्टी मॉडल टर्मिनल एक बार पूरी तरह ऑपरेशनल हो जाये, तो झारखंड के विकास की नयी कहानी लिखेगा. यहीं से राजमहल की कोयला खदानों का कोयला देश के विभिन्न थर्मल पावर प्लांट्स तक जलमार्ग से पहुंचेंगे. स्टोन चिप्स, खाद, सीमेंट और चीनी के साथ-साथ अन्य सामानों की ढुलाई भी होगी.
रूट और महत्व
इलाहाबाद, वाराणसी होते हुए पटना, बक्सर के रास्ते जलपोत साहिबगंज पहुंचेंगे. फिर पश्चिम बंगाल के हल्दिया पोर्ट होते हुए बांग्लादेश के रास्ते नॉर्थ ईस्ट तक जायेंगे. कोलकाता बंदरगाह के जरिये झारखंड का यह बंदरगाह उत्तर भारत को पूर्वी, उत्तरी और पूर्वोत्तर भारत के साथ-साथ बांग्लादेश, नेपाल, म्यांमार और अन्य दक्षिण एशियाई देशों से जोड़ेगा. इसके साथ ही जल मार्ग विकास परियोजना के तहत गंगा नदी पर बना यह बंदरगाह सागरमाला परियोजना से भी जुड़ जायेगा. इसका लाभ झारखंड के साथ-साथ बिहार को भी मिलेगा.
जल मार्ग विकास परियोजना
देश में मल्टी-मॉडल टर्मिनलों का निर्माण जल मार्ग विकास परियोजना के तहत किया जा रहा है. इसका उद्देश्य 1500-2000 टन तक के वजन के बड़े जहाजों के नौवहन के लिए वाराणसी और हल्दिया के बीच गंगा नदी के फैलाव को विकसित करना है. चूंकि जलमार्ग से परिवहन का खर्च एक तिहाई रह जाता है, इसलिए इस व्यवस्था पर सरकार का खासा जोर है. जलमार्ग से सामान भेजने पर एक टन माल ढुलाई का किराया प्रति किमी 30 से 50 पैसे आता है. रेल से माल भेजने पर यही किराया एक रुपया हो जाता है जबकि सड़क से भेजने पर डेढ़ रुपये.
वाराणसी से बहुत बड़ा है साहिबगंज का टर्मिनल
वाराणसी में बने देश के पहले मल्टी मॉडल टर्मिनल से साहिबगंज का मल्टी मॉडल टर्मिनल कई गुणा बड़ा और आधुनिक है. 100 एकड़ के क्षेत्र में बने वाराणसी टर्मिनल के निर्माण पर 206 करोड़ रुपये खर्च हुए थे, जबकि साहिबगंज मल्टी मॉडल टर्मिनल पर 290 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं. अभी इसका विस्तार होना बाकी है. इसके विस्तार पर अभी 376 करोड़ रुपये और खर्च होने हैं.
विशेष बातें
-साहिबगंज मल्टी मॉडल टर्मिनल शिलान्यास के ढाई साल बाद बनकर तैयार हो गया.
-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 6 अप्रैल, 2017 को टर्मिनल का शिलान्यास किया था और 12 सितंबर, 2019 को पीएम मोदी ने ही रांची के प्रभात तारा मैदान से इसे राष्ट्र को समर्पित किया.
-जहाजरानी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री मनसुख मांडविया साहिबगंज में उपस्थित थे.
ऐसा है देश का दूसरा मल्टी-मॉडल टर्मिनल
-290 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं इस टर्मिनल के पहले चरण के निर्माण पर
-30 लाख टन प्रति वर्ष माल ढोने की क्षमता है अभी साहेबगंज बंदरगाह की
-साहिबगंज बंदरगाह के जेटी की लंबाई 270 मीटर और चौड़ाई 25 मीटर
-01 मोबाइल हार्बर क्रेन उपलब्ध है साहिबगंज मल्टी मॉडल टर्मिनल पर
-जेटी पर एक साथ दो जहाज के ठहरने की है व्यवस्था
-देश का पहला मल्टी मॉडल टर्मिनल, जो कंटेनर कार्गो हैंडलिंग में है सक्षम
-स्टॉक यार्ड, कन्वेयर बेल्ट, बार्ज लोडर जैसी आधुनिक सुविधाएं भी हैं यहां
आगे क्या
-376 करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे मल्टी मॉडल टर्मिनल के विस्तार पर
-54.8 लाख टन प्रति वर्ष माल ढोने की क्षमता हो जायेगी विस्तार के बाद
-साहिबगंज मल्टी मॉडल टर्मिनल के दूसरे चरण का काम पीपीपी मोड में होगा
-335 एकड़ में बंदरगाह के निकट ‘फ्रेट विलेज’ का भी निर्माण कराया जायेगा
फायदे
-झारखंड, बिहार में कई नये उद्योग शुरू होंगे, लघु और अन्य उद्योगों को वैश्विक बाजार मिलेगा
-झारखंड को उत्तर प्रदेश के वाराणसी और पश्चिम बंगाल के हल्दिया से जोड़ेगा यह जलमार्ग
-बाद में बांग्लादेश और उसी रास्ते से भारत के पूर्वोत्तर के राज्यों से जुड़ जायेगा झारखंड
-1500-2000 टन तक के जहाज इस मार्ग से वाराणसी और हल्दिया तक जायेंगे
-जलमार्ग से उत्पादों को नेपाल भी भेजा जा सकेगा
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.