नयी दिल्ली : रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने सोमवार को कहा कि आर्थिक वृद्धि दर कम होकर 5 प्रतिशत रहना ‘हैरत में डालने’ वाला है. हालांकि, उन्होंने भरोसा जताया कि सरकार द्वारा हाल में उठाये गये कदमों से अर्थव्यवस्था में सुधार आएगा.
उन्होंने कहा कि पिछले कुछ महीने से अर्थव्यवस्था में सुस्ती दिखाई दे रही है, उसमें तेजी लाने के लिए केंद्रीय बैंक नीतिगत दरों में कटौती कर रहा है. उल्लेखनीय है कि आरबीआई जनवरी 2019 से अब तक नीतिगत दर में चार बार कटौती कर चुका है.
केंद्रीय बैंक इस साल अब तक रेपो दर में कुल मिलाकर 1.10 प्रतिशत की कटौती कर चुका है. रेपो दर वह है जिस पर वाणिज्यिक बैंक आरबीआई से अल्पकालीन कर्ज लेते हैं. दास ने समाचार चैनलों से कहा, ‘…सही कदम उठाये गये हैं, चीजों में सुधार आना चाहिए. यह एक सकारात्मक प्रवृत्ति है कि सरकार मसलों के समाधान को लेकर तेजी से कदम उठा रही है.’
उल्लेखनीय है कि सरकार ने अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए हाल में कई उपायों की घोषणा की है. इसमें रीयल एस्टेट के लिए अलग से व्यवस्था, निर्यात प्रोत्साहन, बैंकों का एकीकरण और एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों) ओर वाहन क्षेत्र के लिए प्रोत्साहन शामिल हैं. संरचनात्मक सुधारों के संदर्भ में उन्होंने कहा कि आरबीआई सालाना रिपोर्ट में इसका जिक्र कर चुका है. दास ने कहा, मेरे हिसाब से एक महत्वपूर्ण चीज है कृषि विपणन. निश्चित रूप से मैं सरकार की तरफ से कृषि विपणन के क्षेत्र में सुधारों के संदर्भ में कुछ कदम की अपेक्षा कर रहा हूं.
चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) आंकड़े को लेकर चिंता जताते हुए आरबीआई गवर्नर ने कहा कि आंकड़ा निश्चित रूप से अच्छा नहीं है. आरबीआई ने वृद्धि दर 5.8 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था. उन्होंने कहा, हर किसी ने आर्थिक वृद्धि का जो अनुमान जताया था, वह 5.5 प्रतिशत से कम नहीं था. इसीलिए 5 प्रतिशत वृद्धि दर अचंभित करने वाली है. दास ने यह भी कहा कि सभी विकसित अर्थव्यवस्थाओं में दूसरी तिमाही में वृद्धि दर पहली तिमाही से कम है. यानी वृद्धि दर में गिरावट आ रही है.
उन्होंने कहा, लेकिन मैं वैश्विक नरमी की आड़ में घरेलू आर्थिक वृद्धि दर में कमी को उचित नहीं ठहरा रहा. हालांकि, वैश्विक नरमी का वृद्धि पर प्रभाव पड़ता है. इसके अलावा घरेलू मुद्दे भी हैं. यह पूछे जाने पर कि अर्थव्यवस्था में नरमी कब दूर होगी, दास ने कहा कि अनुमान लगाना कठिन है, कई चीजें हैं जो इसे प्रभावित कर रही हैं.
उन्होंने कहा, जैसे सऊदी अरब में तेल संकट. इसकी कोई उम्मीद नहीं थी. दुनिया की दो बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच व्यापार मसले. कुछ बयान आते हैं जिससे लगता है कि मामला सुलझ जाएगा लेकिन वे फिर कदम वापस ले लेते हैं… काफी अनिश्चितता है. दास ने कहा कि दूसरी तिमाही में चीजें कैसे आगे बढ़ती हैं, आरबीआई उसका विश्लेषण करेगा और आकलन करेगा.
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