तेल में उफान से शेयर बाजार में तूफान, निवेशकों के डूब गये 2.72 लाख करोड़ रुपये

मुंबई/नयी दिल्ली : सऊदी अरब के तेल कारखानों पर हुए हमले के बाद भारत के शेयर बाजार तूफान मच गया. इस तूफान से शेयर बाजार में पिछले दो दिनों में गिरावट से निवेशकों को 2.72 लाख करोड़ रुपये की चपत लगी. पश्चिम एशिया में भू-राजनीतिक तनाव के कारण कच्चे तेल के दाम में तेजी से […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 17, 2019 7:45 PM

मुंबई/नयी दिल्ली : सऊदी अरब के तेल कारखानों पर हुए हमले के बाद भारत के शेयर बाजार तूफान मच गया. इस तूफान से शेयर बाजार में पिछले दो दिनों में गिरावट से निवेशकों को 2.72 लाख करोड़ रुपये की चपत लगी. पश्चिम एशिया में भू-राजनीतिक तनाव के कारण कच्चे तेल के दाम में तेजी से शेयर बाजारों में बड़े स्तर पर बिकवाली देखी जा रही है. भारी बिकवाली की वजह से बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 2,72,593.54 करोड़ रुपये घटकर 1,39,70,356.22 करोड़ रुपये पर आ गया.

गौरतलब है कि शेयर बाजारों में मंगलवार को लगातार दूसरे दिन गिरावट आयी और सेंसेक्स 642 अंक टूटकर 36,481.09 अंक पर बंद हुआ. निवेशकों को आशंका है कि कच्चे तेल के दाम में तेजी से देश की राजकोषीय स्थिति बिगड़ सकती है और इसके कारण अर्थव्यवस्था की समस्या बढ़ेगी. सऊदी अरब के तेल संयंत्रों पर ड्रोन से हमलों के बाद कच्चे तेल के दाम में तेजी के बीच वैश्विक स्तर पर कमजोर धारणा का असर घरेलू बाजार पर पड़ रहा है.

मंगलवार को 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 642.22 अंक यानी 1.73 फीसदी की गिरावट के साथ 36,481.09 अंक पर बंद हुआ. एक समय इसमें 704 अंक तक की गिरावट दर्ज की गयी थी. इसी प्रकार, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 185.90 अंक यानी 1.69 फीसदी की गिरावट के साथ 10,817.60 अंक पर बंद हुआ. सेंसेक्स के जिन शेयरों में अधिक गिरावट दर्ज की गयी, उनमें हीरो मोटो कॉर्प, टाटा मोटर्स, एक्सिस बैंक, टाटा स्टील, मारुति और एसबीआई शामिल हैं. इन शेयरों में 6.19 फीसदी तक की गिरावट आयी.

30 शेयरों में से केवल एचयूएल, एशियन पेंट्स और इन्फोसिस लाभ में रहे। ब्रेंट क्रूड का भाव सोमवार को 20 फीसदी उछलकर एक समय कर 71.95 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया था और अंत में 15 फीसदी तेजी पर टिका था. हालांकि, मंगलवार को तेल का भाव हल्का घटकर 67.97 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी सोमवार को आगाह किया कि अगर तेल के दाम उच्च स्तर पर बना रहता है, तो भारत के चालू खाते और राजकोषीय घाटे की स्थिति बिगड़ सकती है.

विशेषज्ञों के अनुसार, निवेशक सऊदी अरब के तेल संयंत्रों पर हमले के बाद भू-राजनीतिक अनिश्चितता से चिंतित हैं. निवेशक इस रिपोर्ट से भी चिंतित है कि तेल के दाम में तेजी का असर भारत की आर्थिक स्थिति पर पड़ सकता है. भारत अपनी कुल तेल जरूरतों का 70 फीसदी आयात से पूरा करता है. जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा कि तेल के दाम में तेजी और रुपये की विनिमय दर में गिरावट से अर्थव्यवस्था में निकट भविष्य में सुधार की गुंजाइश घटी है.

सर्वाधिक प्रभाव बैंकों पर पड़ा, जबकि निवेशक में निराशा का भाव है. सरकार के प्रोत्साहन पैकेज का धारणा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा. वैश्विक मोर्चे पर फेडरल रिजर्व की बुधवार मौद्रिक नीति की घोषणा पर निवेशकों की नजर होगी. नीतिगत दर में 0.25 फीसदी की कटौती की उम्मीद की जा रही है. तेल के दाम में तेजी के साथ डॉलर के मुकाबले रुपया 18 पैसे टूटकर 71.78 पर पहुंच गया.

शेयर बाजार में उपलब्ध आंकड़े के अनुसार, विदेशी निवेशक भारतीय बाजार में बिकवाली करने में लगे हैं. विदेशी संस्थागत निवेशकों ने मंगलवार को 808.29 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचे. वैश्विक स्तर पर निवेशकों की नजर चीन और अमेरिका के बीच बातचीत और फेडरल रिजर्व की नीतिगत बैठक के नतीजों पर भी है. यह बैठक आज होनी है. एशिया के अन्य बाजारों में चीन का शंघाई कंपोजिट सूचकांक बड़ी गिरावट के साथ बंद हुआ. वहीं, जापान के निक्की और दक्षिण कोरिया के कोस्पी में तेजी रही. यूरोप के प्रमुख बाजारों में शुरूआती कारोबार में मिला-जुला रुख देखने को मिला.

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